यमुना एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे में कितनों ने अपनों को खोया है, यह बुधवार को भी साफ नहीं हो सका है। अब तक केवल तीन लोगों की ही शिनाख्त हो सकी है, जबकि 20 लोग अब भी लापता हैं। मोबाइल, लगेज और पहचान के दस्तावेज आग में जल जाने से परिजन असहाय होकर अपने अपनों की तलाश में भटक रहे हैं।

2 of 15
मथुरा हादसा
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
मंगलवार तड़के हुए हादसे के बाद से बसों में सफर कर रहे यात्रियों, गाड़ियों के चालक, परिचालक, क्लीनरों के परिवारीजन अस्पतालों, पोस्टमार्टम गृह और पुलिस कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन किसी के पास कोई पुख्ता जवाब नहीं है। मोबाइल बंद हैं, संपर्क के रास्ते टूट चुके हैं। आंखों में आंसू और चेहरे पर बेबसी लिए परिजन बस एक ही सवाल कर रहे हैं, हमारे अपने कहां हैं? बुधवार को पोस्टमार्टम गृह में 20 से अधिक परिजन जानकारी करने पहुंचे।

3 of 15
मथुरा हादसा
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
हमीरपुर के गुहांड निवासी ब्रजभाग सुबह 11 बजे अपने 28 वर्षीय बेटे देवेंद्र की तलाश में पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। उन्होंने बताया कि देवेंद्र सोमवार रात करीब आठ बजे नोएडा के लिए स्लीपर बस (यूपी 17 एटी 8577) से निकला था। मंगलवार रात नौ बजे तक बात हुई, फिर संपर्क टूट गया।

4 of 15
मथुरा हादसा
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
देवेंद्र परिवार का इकलौता कमाने वाला था, जिसकी शादी पिछले वर्ष फरवरी में हुई थी। फतेहपुर के राजकुमार अपने भाई नरेंद्र यादव को खोजते हुए पहुंचे। नरेंद्र नोएडा में हलवाई की दुकान पर काम करते थे। वह कानपुर के नौबस्ता से डबल डेकर बस में सवार हुए थे। रात दो बजे तक बात हुई, इसके बाद फोन स्विच ऑफ हो गया।

5 of 15
मथुरा हादसा
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
संभल जिले के बहजोई निवासी जगदीश पाल अपने 30 वर्षीय बेटे पंकज कुमार की तलाश में पहुंचे। पंकज लक्ष्मी होलीडे कंपनी की डबल डेकर बस (एआर 11 डी 3100) से सवार थे, लेकिन दो दिन बाद भी कोई सुराग नहीं मिला। बांदा के राजीव अपने 15 वर्षीय भतीजे ऋषभ की तलाश में दो दिनों से भटक रहे हैं। ऋषभ लापता हैं, जबकि उनके पिता देवराज गंभीर हालत में एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं।