Business
oi-Sumit Jha
Chhath
Mahaparv
Economy:
भारत
की
सांस्कृतिक
धरोहर
का
प्रतीक
छठ
महापर्व
(Chhath
Mahaparv)
इस
वर्ष
न
केवल
आस्था
का
संगम
रहा,
बल्कि
राष्ट्रीय
अर्थव्यवस्था
में
50,000
करोड़
रुपये
से
अधिक
का
कारोबार
उत्पन्न
करने
वाला
एक
विशाल
आर्थिक
महोत्सव
भी
साबित
हुआ।
कन्फेडरेशन
ऑफ
ऑल
इंडिया
ट्रेडर्स
(कैट)
(Confederation
of
All
India
Traders
–
CAIT)
के
आकलन
के
अनुसार,
10
करोड़
से
अधिक
लोगों
ने
व्रत
रखा,
जिससे
देश
भर
के
बाजारों
में
अभूतपूर्व
उछाल
आया।
यह
कारोबार
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
के
स्वदेशी
वस्तुओं
के
उपयोग
के
आह्वान,
जीएसटी
दरों
(GST
rates)
में
कटौती
और
लोगों
की
अटूट
आस्था
के
कारण
हुआ।
कैट
का
यह
अध्ययन
भारत
की
सनातन
अर्थव्यवस्था
पर
चल
रही
परियोजना
का
हिस्सा
है,
जो
त्योहारों
के
आर्थिक
प्रभाव
को
दर्शाता
है।

(AI
Image)
50,000
करोड़
से
अधिक
का
रिकॉर्ड
कारोबार
कैट
के
आकलन
के
अनुसार,
इस
वर्ष
छठ
महापर्व
पर
देश
भर
में
10
करोड़
से
अधिक
व्रतियों
और
श्रद्धालुओं
ने
पूजा-अर्चना
की,
जिससे
व्यापारिक
गतिविधियों
में
जबरदस्त
उछाल
आया।
बिहार
एवं
झारखंड
जैसे
प्रमुख
छठ
राज्यों
सहित
पूरे
देश
में
लगभग
50,000
करोड़
रुपये
से
अधिक
का
रिकॉर्ड
कारोबार
दर्ज
किया
गया।
अकेले
दिल्ली
में
लगभग
8
हज़ार
करोड़,
बिहार
में
15
हज़ार
करोड़
और
झारखंड
में
5
हज़ार
करोड़
रुपये
का
व्यापार
हुआ।
यह
आंकड़ा
दर्शाता
है
कि
छठ
पर्व
अब
केवल
एक
धार्मिक
अनुष्ठान
नहीं,
बल्कि
एक
महत्वपूर्ण
आर्थिक
चालक
बन
गया
है,
जो
स्थानीय
अर्थव्यवस्थाओं
को
नई
गति
प्रदान
करता
है।
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महानगरों
और
नए
राज्यों
तक
छठ
का
विस्तार
कैट
के
राष्ट्रीय
महामंत्री
प्रवीन
खंडेलवाल
ने
बताया
कि
छठ
उत्सव
का
आर्थिक
प्रभाव
अब
केवल
पारंपरिक
क्षेत्रों
तक
सीमित
नहीं
है,
बल्कि
यह
महानगरों
और
अन्य
राज्यों
तक
भी
फैल
गया
है।
दिल्ली
और
एनसीआर
क्षेत्र
में
बड़ी
पूर्वांचली
आबादी
के
कारण
बड़ा
व्यापार
हुआ,
जहां
दिल्ली
सरकार
ने
लगभग
1,500
घाट
तैयार
किए
थे।
पश्चिम
बंगाल
के
गंगा
तटों
पर,
ओडिशा,
कर्नाटक
और
तेलंगाना
जैसे
राज्यों
में
भी
प्रवासी
समुदायों
की
बड़ी
संख्या
के
कारण
स्थानीय
बाजारों
में
छठ
से
संबंधित
उत्पादों
की
उल्लेखनीय
खरीदारी
दर्ज
की
गई।
यह
विस्तार
छठ
की
बढ़ती
लोकप्रियता
और
आर्थिक
पहुँच
को
दर्शाता
है।
‘स्वदेशी
छठ’
अभियान
की
शानदार
सफलता
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
के
स्वदेशी
उत्पादों
के
उपयोग
के
आह्वान
को
‘स्वदेशी
छठ’
अभियान
के
तहत
व्यापक
सफलता
मिली।
व्यापारिक
संगठनों
और
लोगों
ने
स्थानीय
ठेकुआ
निर्माताओं,
मिट्टी
के
बर्तन,
बांस
व
केले
की
टोकरी
बनाने
वालों
और
गुड़
उत्पादकों
को
सक्रिय
रूप
से
बढ़ावा
दिया।
इस
अभियान
से
स्थानीय
हस्तशिल्प
और
घरेलू
उत्पादों
की
बिक्री
में
भारी
वृद्धि
हुई,
जिससे
स्थानीय
कारीगरों
और
छोटे
व्यापारियों
को
सीधा
लाभ
मिला।
यह
दर्शाता
है
कि
धार्मिक
पर्वों
को
राष्ट्रीय
आर्थिक
लक्ष्यों
के
साथ
कैसे
जोड़ा
जा
सकता
है,
जिससे
आत्मनिर्भरता
की
दिशा
में
भी
प्रगति
होती
है।
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