एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने विमानन नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमानों के पायलटों की ड्यूटी टाइम बढ़ाने के फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की है। पायलट संगठन का कहना है कि यह फैसला थकान से जुड़ी गलतियों के खतरे को बढ़ा सकता है और उड़ान सुरक्षा पर सीधा असर डालता है।
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फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन और फ्लाइट ड्यूटी पीरियड में बढ़ोतरी
डीजीसीए ने हाल ही में बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के लिए दो पायलटों वाले ऑपरेशन में फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) को 10 घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे 30 मिनट कर दिया है। इसी तरह फ्लाइट ड्यूटी पीरियड (एफडीपी)को 13 घंटे से बढ़ाकर 14 घंटे कर दिया गया है। एफडीपी वह अवधि होती है जब कोई पायलट विमान संचालन के लिए ड्यूटी पर होता है और यह तब खत्म होती है जब विमान अपनी अंतिम मंजिल पर रुक जाता है।
सुरक्षा से ज्यादा व्यापारिक सुविधा पर ध्यान- पायलट संगठन
एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने डीजीसीए को भेजे पत्र में कहा कि फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन के नियम वैज्ञानिक अध्ययन और मानव थकान से जुड़े अनुसंधानों के आधार पर बनाए गए थे। संगठन ने आगे लिखा, ‘डीजीसीए का यह निर्णय ऐसा प्रतीत होता है जैसे उसने सुरक्षा के बजाय ऑपरेटरों की सुविधा और व्यापारिक पहलुओं को प्राथमिकता दी है। संगठन ने बताया कि अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए)ने पहले ही बोइंग 787 में कप्तान की सीट के झुकाव पर सुरक्षा कारणों से प्रतिबंध लगाया हुआ है, जिससे उड़ान के दौरान पायलटों को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता।
‘थकान से हादसे का खतरा बढ़ेगा’
एयरलाइन पायलट एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा कि ड्यूटी टाइम बढ़ाने के बजाय डीजीसीए को अगमेंटेड क्रू (अतिरिक्त पायलटों) को तैनात करने का निर्देश देना चाहिए था। संगठन ने याद दिलाया कि 12 जून को अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद एयर इंडिया का एक ड्रीमलाइनर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 260 लोगों की मौत हुई थी। संगठन ने चेताया, ‘ऐसे में लंबी दूरी की उड़ानों पर, जहां पायलटों के आराम की सुविधा भी सीमित है, रात और खराब मौसम में उड़ान भरना थकान से जुड़ी गलतियों के लिए उपयुक्त परिस्थिति बना सकता है।’
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विस्तृत समीक्षा की मांग
पायलट संगठन ने डीजीसीए से मांग की है कि किसी भी तरह की नई छूट या बदलाव से पहले थकान जोखिम मूल्यांकन किया जाए और इसमें पायलटों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए। संगठन का कहना है कि यह निर्णय वैश्विक सुरक्षा मानकों के विपरीत है और यदि इसे जारी रखा गया तो यह विमानन सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता है।