बिहार में सियासी पारा हर दिन चढ़ता ही जा रहा है और इस बीच अमर उजाला का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ मधुबनी की धरती पर पहुंच चुका है। आज 27 अक्तूबर की सुबह चाय की चुस्की के साथ जनता से वहां के मुद्दे पर सवाल पूछे गए।
चाय पर चर्चा के दौरान स्थानीय निवासी आनंद कुमार झा ने कहा कि बिहार में निश्चित रूप से परिवर्तन की लहर दौड़ रही है। सिर्फ मधुबनी ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लोग इस बार बदलाव चाहते हैं। जब उनसे पूछा गया कि आखिर परिवर्तन क्यों होगा, तो आनंद झा ने कहा कि यहां पलायन सबसे बड़ी समस्या है। बीते 20 वर्षों से एक ही सरकार सत्ता में है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। प्रदेश में न कोई बड़ा उद्योग लगा, न कोई मिल। लोग भ्रष्टाचार और महंगाई से परेशान हैं, गरीबी चरम पर है। थानों की स्थिति यह है कि बिना पैसे दिए एफआईआर तक दर्ज नहीं होती। युवाओं को रोजगार नहीं मिला, और जब वे नौकरी मांगने जाते हैं, तो लाठीचार्ज झेलना पड़ता है। इसलिए इस बार सबने ठान लिया है कि बिहार में परिवर्तन होना चाहिए।
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वहीं, आनंद झा के बयान पर जब गौतम कुमार से राय मांगी गई, तो उन्होंने इसका विरोध करते हुए कहा कि इस सरकार में तो बहुत आनंद आ रहा है। अगर 20 साल पहले की स्थिति देखें, तो तब सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे थे। आज पक्की सड़कें हैं। पहले जंगलराज था, लेकिन अब कानून व्यवस्था सुधरी है। नीतीश कुमार की सरकार में हालात बेहतर हुए हैं।
आनंद झा के गड्ढे वाले बयान पर बीच में ही हस्तक्षेप करते हुए विनोद मंडल ने कहा कि गड्ढे अभी जरूर दिख रहे हैं, लेकिन जल्द भर दिए जाएंगे। चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से फिलहाल काम रुके हैं। 14 नवंबर के बाद सारे लंबित कार्य पूरे कर दिए जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि परिवर्तन की बात महज वहम है। आने वाली 14 नवंबर को एक बार फिर नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
वहीं, एक अन्य युवा कौशल कुमार सिंह ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह सरकार पूरी तरह फेल है। महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपये डालना वोट खरीदने की कोशिश थी। बिहार अपराधियों का गढ़ बन गया है, रोज अपराध हो रहे हैं, लेकिन कोई नियंत्रण नहीं है। हमें बीमार मुख्यमंत्री नहीं चाहिए।