Amir Ujala’s Election Chariot Will Reach Supaul On October 28. – Amar Ujala Hindi News Live


मंगलवार 28 अक्तूबर 2025 दिन मंगलवार की सुबह आठ बजे ‘चाय पर चर्चा’ आपके शहर सुपौल में होगी। अमर उजाला पर कार्यक्रम लाइव टेलीकास्ट होंगे। उसके बाद दोपहर 12 बजे युवाओं से चर्चा की जाएगी। फिर शाम 4 बजे से कार्यक्रम में सभी पार्टी के नेता/प्रत्याशियों, उनके प्रतिनिधि/समर्थकों और आम लोगों से सवाल-जवाब किए जाएंगे। ऐसे में आइये जानते हैं सुपौल का चुनावी इतिहास।

पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. ललित नारायण मिश्र, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. डॉ. जगन्नाथ मिश्र और जनता दल की सरकार गठन के समय मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार रहे स्व. अनुप लाल यादव जैसे दिग्गज नेताओं की कर्मभूमि रहा सुपौल, परमहंस संत लक्ष्मीनाथ गोस्वामी की जन्मस्थली भी है।

33 पंचायत पूरी या आंशिक रूप से बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं

बिहार का शोक कही जाने वाली कोसी नदी नेपाल से बिहार में सुपौल जिले के रास्ते ही प्रवेश करती है। कोसी का प्रवाह यहां के छह प्रखंडों से होकर गुजरता है और हर साल 33 पंचायत पूरी या आंशिक रूप से बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। देश को कई बड़े राजनेता देने वाला सुपौल कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, बाद में यह समाजवाद की मजबूत जमीन बना। अब अमर उजाला की टीम बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर 28 अक्तूबर से सत्ता का संग्राम कार्यक्रम के अंतर्गत सुपौल पहुंच रही है।

फिलहाल सुपौल जिले की पांच विधानसभा सीटों पर एनडीए का दबदबा है चार सीटें जदयू और एक भाजपा के पास है। यही वजह है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन ने सुपौल को अपनी चुनौती के रूप में लिया है।

मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव का दबदबा

पिछले दो दशकों से जिले की राजनीति का केंद्र जदयू के कद्दावर नेता और बिहार सरकार में मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव रहे हैं, जो 1990 से लगातार सुपौल विधानसभा सीट पर काबिज हैं। 1991 में पहली बार मंत्री बने बिजेंद्र यादव ने लालू-राबड़ी, नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी की सरकारों में कई अहम मंत्रालयों का जिम्मा संभाला है।

निर्मली विधानसभा सीट सबसे हॉट सीट

वहीं, छातापुर के भाजपा विधायक और मंत्री नीरज कुमार सिंह ‘बबलू’ भी जिले में पार्टी के बड़े चेहरों में गिने जाते हैं। 2005 और 2010 में वे जदयू से विधायक चुने गए थे, लेकिन 2015 में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। 2020 में लालू-नीतीश गठबंधन के बावजूद नीरज सिंह ‘बबलू’ छातापुर सीट से विजयी रहे।


हालांकि, इस बार जिले की निर्मली विधानसभा सीट सबसे हॉट सीट मानी जा रही है। यहां जदयू विधायक अनिरुद्ध प्रसाद यादव लगातार पांच बार जीत दर्ज कर चुके हैं और इस बार छठी बार मैदान में हैं। 2020 के चुनाव में वे जिले में सर्वाधिक मतों से विजयी हुए थे। लेकिन इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है। 

रामप्रवेश कुमार यादव को मैदान में उतारा

महागठबंधन ने यहां से पूर्व आईआरएस बैद्यनाथ मेहता को राजद प्रत्याशी बनाया है, जिन्होंने बीते लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। वहीं, जन सुराज पार्टी ने निर्मली प्रखंड प्रमुख रामप्रवेश कुमार यादव को मैदान में उतारा है।

2020 की नतीजे

विधानसभा          प्रत्याशी का नाम     पार्टी

छातापुर           नीरज कुमार सिंह        भाजपा

निर्मली          अनिरुद्ध प्रसाद यादव      जदयू

पिपरा            रामबिलास कामत           जदयू

सुपौल          ब्रिजेंद्र प्रसाद यादव          जदयू

त्रिवेणीगंज     वीना भारती                  जदयू

यादव-मुस्लिम बहुल सीट पर शहरी वोटर तय करते हैं सत्ता का समीकरण

जिले की सबसे अहम विधानसभा सीट सुपौल मानी जाती है। यहां 20.4 फीसदी मुस्लिम, 16.5 फीसदी यादव और 13.15 फीसदी अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। इसके अलावा करीब 15 फीसदी शहरी वोटर हर बार सत्ता का समीकरण तय करते हैं।

साल 1990 में जनता दल के टिकट पर पहली बार मैदान में उतरे बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कांग्रेस के लंबे समय से कायम गढ़ को ध्वस्त कर दिया था। तब से अब तक वे लगातार इस सीट पर काबिज हैं। वर्ष 2005 में जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी, तब बिजेंद्र यादव जदयू के प्रदेश अध्यक्ष थे। तमाम राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बावजूद वे 1991 से अब तक लगभग हर सरकार में मंत्री पद संभालते रहे हैं।

महागठबंधन की ओर से इस बार कांग्रेस ने मिन्नतुल्लाह रहमानी को उम्मीदवार बनाया है। वे 2020 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी थे और उस समय उन्होंने 58,075 वोट हासिल कर सबको चौंका दिया था। वहीं, पिछली बार निर्दलीय के रूप में मैदान में उतरे अनील कुमार सिंह इस बार जनसुराज पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले चुनाव में उन्हें 5,736 वोट मिले थे। 

क्या हैं यहां के मुद्दे?

सुपौल में बेरोजगारी और पलायन लंबे समय से प्रमुख राजनीतिक मुद्दा रहा है। जिले में एक भी बड़ा उद्योग न होने की वजह से बड़ी संख्या में लोग रोज़गार की तलाश में दूसरे राज्यों की ओर पलायन करते हैं।

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‘एक भी सरकारी महिला कॉलेज नहीं खुल पाया’

कोसी तटबंधों के बीच बसे 11 में से 6 प्रखंडों में हर साल बाढ़ और सीपेज से लाखों लोग प्रभावित होते हैं। सरकारी अस्पतालों की इमारतें तो भव्य हैं, लेकिन डॉक्टरों की भारी कमी के कारण स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। जिले में अब तक एक भी सरकारी महिला कॉलेज नहीं खुल पाया है।

शराबबंदी के बाद युवाओं में सूखे नशे (ड्रग्स) का चलन तेजी से बढ़ा है, जिससे आपराधिक घटनाओं में भी वृद्धि हो रही है। वहीं, नल-जल योजना की विफलता के कारण अब भी कई इलाके आयरनयुक्त पानी पीने को मजबूर हैं, जो गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है।

सुपौल में मंगलवार 28 अक्तूबर को होंगे कार्यक्रम

सुबह 05 बजे छठ घाट का माहौल

स्थान: गांधी मैदान तालाब, सुपौल

सुबह 10 बजे चाय पर चर्चा

स्थान: हुसैन चौक, सुपौल

दोपहर 01 बजे युवाओं से चर्चा

स्थान:  स्टेशन चौक, सुपौल

दोपहर बाद 4 बजे: राजनेताओं से चर्चा

स्थान : गांधी मैदान, सुपौल

विशेष कवरेज को आप यहां देख सकेंगे

amarujala.com, अमर उजाला के यूट्यूब चैनल और फेसबुक चैनल पर आप ‘सत्ता का संग्राम’ से जुड़े कार्यक्रम लाइव देख सकेंगे। ‘सता का संग्राम’ से जुड़ा व्यापक जमीनी कवरेज आप अमर उजाला अखबार में भी पढ़ सकेंगे।

इनपुट: संपर्क: (केशव कुमार, 9472535402)



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