बिहार में चुनावी तापमान चरम पर है और सियासी बयानबाजी अपने उफान पर। इस बार एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी पूरे दमखम के साथ मैदान में हैं। पार्टी ने इस बार सीमांचल से लेकर उत्तर और दक्षिण बिहार तक उन्होंने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। लगातार रैलियों के बीच अमर उजाला को दिए एक खास इंटरव्यू में ओवैसी ने बिहार के अहम मुद्दों पर खुलकर बात की। उन्होंने जहां नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों पर करारा वार किया, वहीं बेरोजगारी, विकास और सीमांचल की अनदेखी जैसे मुद्दों को केंद्र में रखा।
प्रश्न: बिहार में आप लगातार सीमांचल के विकास की बात करते हैं। क्या आपको लगता है कि इस इलाके में कोई सुधार हुआ है?
उत्तर: बिल्कुल नहीं। सरकारी आंकड़े खुद बताते हैं कि सीमांचल अब भी सबसे पिछड़ा इलाका है। यहां के बच्चों में खून की कमी है, 56% क्षेत्र बाढ़ प्रभावित रहता है, और 50% बच्चे कुपोषण से ग्रस्त हैं। किशनगंज और अररिया में फैक्ट्रियां, विश्वविद्यालय या बड़े उद्योग नहीं हैं। पटना, गया और नालंदा में तो बड़े-बड़े संस्थान हैं, लेकिन सीमांचल को कुछ नहीं मिला।
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प्रश्न: नीतीश कुमार लंबे समय से मुख्यमंत्री हैं, कभी तेजस्वी के साथ, कभी बीजेपी के साथ। आप इसे कैसे देखते हैं?
उत्तर: यही तो बिहार का “जंगलराज पार्ट टू” है। पहले लालू प्रसाद यादव के परिवार का जंगलराज था, अब नीतीश कुमार का चल रहा है। जो मुख्यमंत्री 20 साल से कभी बीजेपी, कभी आरजेडी के साथ हो, उसे जनता क्या माने? बिहार की जनता के साथ यह राजनीतिक धोखा है।

प्रश्न: आपने कहा कि बिहार ने नरेंद्र मोदी को तीन बार प्रधानमंत्री बनाकर गलती की। क्यों?
उत्तर: क्योंकि मोदी जी का ध्यान बिहार पर नहीं है। उनका दिल अहमदाबाद में अटका है, नीतीश कुमार का राजगीर में, और लालू यादव का सिर्फ अपने बेटे-बेटी में। नतीजा यह है कि सीमांचल की जनता के विकास की कोई परवाह नहीं करता।
प्रश्न: तेजस्वी यादव कहते हैं कि “मेरे 17 महीने देखो, 15 साल मत देखो।” आप क्या कहते हैं?
उत्तर: मैं पूछना चाहता हूं कि वे जो 5 लाख नौकरी देने की बात करते हैं, उसका हिसाब कहां है? बिहार में 2 करोड़ 70 लाख परिवार हैं। अगर हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देंगे तो 8 लाख करोड़ रुपये चाहिए, जबकि बिहार का कुल बजट 2 लाख करोड़ है। यह तो जनता को बेवकूफ बनाना है।
प्रश्न: आपने कहा कि सीमांचल से भेदभाव होता है। क्या इसका असर राजनीति पर पड़ता है?
उत्तर: बिल्कुल। सीमांचल में 17% अल्पसंख्यक हैं, लेकिन आरजेडी इन्हें टिकट के नाम पर सिर्फ “लॉलीपॉप” देती है। जब मल्लाह का बेटा उपमुख्यमंत्री हो सकता है, तो अब्दुल्ला या मोहम्मद का बेटा मुख्यमंत्री क्यों नहीं हो सकता? यह असली सामाजिक न्याय कब मिलेगा?

प्रश्न 6: महागठबंधन में शामिल होने की बात चली थी। क्या एमआईएम तैयार नहीं थी?
उत्तर: नहीं, ये झूठ है। हम तैयार थे। हमने छह सीटों पर लड़ने का प्रस्ताव दिया, लेकिन जवाब नहीं मिला। हमने इंडिया अलायंस को भी पत्र भेजा, मगर तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्हें पत्र नहीं मिला। अब जनता समझ चुकी है कि कौन वाकई बीजेपी को रोकना चाहता है और कौन सिर्फ बयानबाजी कर रहा है।
प्रश्न 7: आप नीतीश कुमार को लेकर क्या सोचते हैं? क्या वे फिर मुख्यमंत्री बन सकते हैं?
उत्तर: मुझे नहीं लगता कि उन्हें अब जनता स्वीकार करेगी। बीजेपी को रोकना ज़रूरी है, लेकिन नीतीश कुमार ने खुद बीजेपी का साथ देकर अपनी विश्वसनीयता खो दी है। जनता अब बदलाव चाहती है।
प्रश्न 8: तेजस्वी यादव ने कहा कि वे “वक्फ कानून” को कचरे में डाल देंगे। इस पर आपकी प्रतिक्रिया?
उत्तर: यह बहुत गैर-जिम्मेदार बयान है। उन्हें पता ही नहीं कि सेंट्रल और स्टेट लेजिस्लेशन में फर्क क्या होता है। मैंने खुद उस कानून पर 128 पन्नों की रिपोर्ट दी है। हम सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे हैं। आप कानून की जानकारी के बिना कैसे कह सकते हैं कि उसे कचरे में डाल देंगे?
प्रश्न 9: तो आखिर आपकी नजर में बिहार की असली लड़ाई किसके खिलाफ है?
उत्तर: दो “जंगलराज” के खिलाफ, एक लालू यादव परिवार का और दूसरा नीतीश कुमार का। दोनों ने बिहार को पीछे किया है। अब जनता को खुद आगे आकर अपने विकास की लड़ाई लड़नी होगी।