पाकिस्तान के एक वरिष्ठ मंत्री ने माना है कि देश चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) से कोई लाभ नहीं उठा सका। मंत्री ने यह भी कहा कि पिछली सरकार में चीनी निवेश को बदनाम करने की कोशिशें हुईं, जिसके कारण चीनी निवेशक देश छोड़ने को मजबूर हुए।
योजना मंत्री अहसान इकबाल ने ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार से कहा, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कई बार उड़ान भरने का अवसर गंवा चुकी है। हमने ‘गेम चेंजर’ साबित होने वाले सीपीईसी का अवसर भी गंवा दिया।
ये भी पढ़ें: पाकिस्तान में न्यायपालिका और सरकार तकरार: संशोधन बिल पर बवाल, सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों ने दिया इस्तीफा
करीब 60 अरब डॉलर की लागत वाला सीपीईसी चीन के शिंजियांग प्रांत को पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है। इसे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कई अरब डॉलर की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की प्रमुख परियोजना माना जाता है, जिसका मकसद चीन के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाना है।
अहसान इकबाल ने पाकिस्तान के सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) की ओर से आयोजित दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में कहा कि देश सीपीईसी से लाभ नहीं उठा सका। उन्होंने क्रिकेट की भाषा में उदाहरण देते हुए कहा कि पाकिस्तान ने यह मौका खो दिया। उन्होंने इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को जिम्मेदार ठहराया।
इकबाल ने कहा कि चीन ने मुश्किल समय में पाकिस्तान की मदद की। लेकिन विरोधियों ने चीनी निवेश को विवादों में घसीट कर उसे बदनाम करने की कोशिश की, जिससे निवेशक पाकिस्तान छोड़कर चले गए। अखबार ने लिखा कि यह शायद पहली बार था, जब किसी मौजूदा वरिष्ठ मंत्री ने स्वीकार किया कि सीपीईसी के उद्देश्यों को हासिल नहीं किया जा सका।
ये भी पढ़ें: यूक्रेनी सेना प्रमुख ने रूसी घेराबंदी वाले शहर का किया दौरा; भ्रष्टाचार मामले में घिरे जेलेंस्की
रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 के बाद से सीपीईसी पर बहुत कम प्रगति हुई है। अखबार ने कहा, सीपीईसी की संयुक्त सहयोग समिति (जेसीसी) की अब तक 14 बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन आधिकारिक तौर पर यह माना गया कि वास्तविक प्रगति सातवीं जेसीसी बैठक तक ही हुई थी, जो 2017 के अंत में आयोजित की गई थी। पाकिस्तान को सीपीईसी से कुछ अल्पकालिक लाभ जरूर हुए, लेकिन दीर्घकालिक उद्देश्यों को अब तक हासिल नहीं किया जा सका।
रिपोर्ट में कहा गया, सीपीईसी के दूसरे चरण का लक्ष्य चीनी उद्योगों को पाकिस्तान में स्थानांतरित करना और तेज औद्योगिकीकरण के माध्यम से देश के निर्यात को बढ़ाना था, लेकिन यह चरण कभी शुरू ही नहीं हो पाया । अखबार ने लिखा कि सीपीईसी शुरू हुए 10 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी दोनों देशों ने अपनी पिछली जेसीसी बैठक में माना कि विशेष आर्थिक क्षेत्रों के लिए आवश्यक सहायक ढांचे और सुविधाओं को बेहतर बनाने की जरूरत है, ताकि अधिक कंपनियां वहां निवेश के लिए आकर्षित हों।