कश्मीर बनेगा दारुल इस्लाम (कश्मीर इस्लाम का घर बनेगा) और शरीयत या शहादत के दो नारों से अल फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों, स्टॉफ व छात्रों का ब्रेनवॉश किया जा रहा था। ये नारे आतंकी संगठन अंसर गजावत-उल-हिंद के हैं।
पाकिस्तान में बैठे हैंडलर इन्हीं नारों के जरिये दिल्ली के नजदीक बनी अल फलाह यूनिवर्सिटी से ही राजधानी व आस-पास के हिस्सों को दहलाने की साजिश रच रहे हैं। पाकिस्तानी हैंडलर ये नारे डॉ. मुज्जमिल, डॉ. उमर व इनके अन्य साथियों को बताते थे। इसके बाद ये सभी डॉक्टर मिलकर आगे स्टॉफ व छात्रों को भी इसी के जरिये बरगलाने का काम करते थे।
जांच एजेंसी के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आतंकी संगठन की ओर से इन नारों में खास तौर पर कश्मीर का जिक्र किया गया। ऐसा इसलिए किया गया कि कश्मीर के मूल निवासी इन डॉक्टरों को इनके कश्मीर के बारे में बातें करके ही बरगलाया जा सकता है। इसी के चलते सबसे पहले डॉ. शाहीन, फिर डॉ. मुज्जमिल और बाद में डॉ. उमर से आतंकियों व पाकिस्तानी हैंडलर ने संपर्क किया।
इनमें वर्तमान में पाकिस्तानी हैंडलर की सबसे खास कड़ी डॉ. मुज्जमिल ही था। इसके चलते उसे ही रुपये पहुंचाए जाते थे। इसके अलावा विस्फोटक खरीदकर जमा करने की जिम्मेदारी भी उसे ही दी गई थी। उसने ही अपने दो ठिकानों पर ये विस्फोटक छुपाया था।
शरीयत या शहादत के नारे से ही डॉ. उमर ने किया बम धमाका
डॉ. मुज्जमिल के 30 अक्तूबर को गिरफ्तार होने के बाद पाकिस्तानी हैंडलर का सीधा संपर्क डॉ. उमर के साथ हो गया। डॉ. उमर ने अपना मोबाइल तुरंत बंद कर दिया था। वो सोशल मीडिया के जरिये पाकिस्तानी हैंडलर से लगातार बात कर रहा था। इस दौरान लगभग 10 दिनों तक पाकिस्तानी हैंडलर ने उसे कश्मीर के लिए शरीयत या शहादत के नारे के जरिये ब्रेनवॉश किया।
जांच एजेंसी के सूत्रों की मानें तो हर दिन डॉ. उमर और पाकिस्तानी हैंडलर की कई-कई बार वीडियो कॉल पर बात हुई। इससे वो इतना अधिक उग्र हो गया कि 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास जाकर बम धमाका कर दिया और अपनी जान भी गंवा बैठा।