Sc:’केवल मीडिया रिपोर्ट पर Eci से नहीं मांग सकते जवाब’, Sir पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी – Supreme Court Refuses To Seek Ec Reply On Media Report Cited By Ngo On Notice For Voter Deletion In Bihar Sir


सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब मांगने से इनकार कर दिया। इस याचिका में चुनाव आयोग को उस मीडिया रिपोर्ट पर जवाब देने का निर्देश देने की मांग की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान मतदाताओं के नाम हटाने के लिए लाखों पूर्व-भरे नोटिस स्थानीय अधिकारियों के बजाय केंद्रीय स्तर पर जारी किए गए थे।

भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि इससे एक गलत मिसाल कायम होगी और उन्होंने एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स को चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया मांगने से पहले तथ्यों को ध्यान में रखते हुए एक हलफनामा दाखिल करने को कहा।

इस मामले में चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने अखबार की रिपोर्ट पर गैर सरकारी संगठन की ओर से किए गए भरोसे पर आपत्ति जताई और उसमें लगाए गए आरोपों का खंडन किया।

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को उस समय अचानक मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देने के लिए अदालत में नहीं बुलाया जा सकता, जब इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण सुनवाई हो चुकी हो। पीठ ने कहा कि जब तक इस मुद्दे को औपचारिक रूप से हलफनामे के माध्यम से रिकॉर्ड में नहीं लाया जाता, तब तक वह मीडिया रिपोर्ट से प्रभावित नहीं हो सकती।

बिहार में एसआईआर आयोजित करने के लिए 24 जून चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया था। इसकी संवैधानिक वैधता को इसी एनजीओ ने चुनौती दी थी। एनजीओ की ओर से अदालत में पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में कुछ बहुत ही परेशान करने वाले और गंभीर आरोप लगाए गए हैं कि बिहार में एसआईआर के दौरान मानदंडों का पालन नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की ओर से मतदाताओं को सीधे लाखों पूर्व-भरे नोटिस भेजे गए जिनमें नाम हटाने का अनुरोध किया गया था, जबकि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत ऐसे नोटिस जारी करने का अधिकार केवल स्थानीय निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी को है।

द्विवेदी ने कहा कि अगर भूषण अभी भी आरोप को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो उन्हें हलफनामे के माध्यम से सबूत पेश करने चाहिए। उन्होंने दावा किया कि यह आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत है क्योंकि सभी नोटिस जिला चुनाव अधिकारियों की ओर से जारी किए गए थे।

सीजेआई सूर्यकांत ने भूषण से कहा कि स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार, दूसरे पक्ष से प्रतिक्रिया तभी मांगी जा सकती है जब औपचारिक रूप से अदालत के समक्ष कुछ रखा जाए। मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि अदालतें केवल मीडिया रिपोर्टों के आधार पर जवाब दाखिल करने का निर्देश नहीं दे सकतीं हैं।

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