राजधानी में पारा गिरने और खराब मौसम की स्थिति ने दिल्ली को गैस चैंबर बना दिया है। ऐसे में सोमवार को हवा गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई। सुबह की शुरुआत धुंध और कोहरे की मोटी परत से हुई। वहीं, पूरे दिन आसमान में स्मॉग की मोटी चादर भी दिखाई दी। इसके चलते कई इलाकों में दृश्यता बेहद कम रही। सोमवार को 401 वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के साथ राजधानी वायु प्रदूषण में दूसरे नंबर पर रही। नोएडा में एक्यूआई 410 दर्ज किया गया जो हवा की गंभीर श्रेणी है।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, वाहन से होने वाला प्रदूषण 15.12 फीसदी रहा। इसके अलावा पेरिफेरल उद्योग से 7.03, आवासीय इलाकों से 3.68, निर्माण गतिविधियों से 2.07 और सड़क से उड़ने वाली धूल की 1.08 फीसदी की भागीदारी रही। सीपीसीबी के अनुसार, सोमवार को हवा उत्तर-पश्चिम दिशा से 16 किलोमीटर प्रतिघंटे के गति से चली। सोमवार को 24 इलाकों में गंभीर और कई इलाकों में हवा बेहद खराब श्रेणी में हवा दर्ज की गई।
क्यों बिगड़ती जा रही दिल्ली की हवा?
विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार बनी हुई गंभीर वायु गुणवत्ता का मुख्य कारण मौसम का मिजाज है। स्काईमेट के उपाध्यक्ष महेश पलावत के अनुसार, तापमान में कमी के कारण प्रदूषण के स्तर में भारी वृद्धि हुई है और पश्चिमी विक्षोभ के चलते वायु गुणवत्ता जो नीचे फंसी हुई ठंडी हवा को ऊपर उठने नहीं देती है। इसी ठंडी हवा में गाड़ियों का धुआं और निर्माण की धूल जैसे प्रदूषक जमा हो जाते हैं। प्रदूषकों को ऊपर जाने का रास्ता नहीं मिलता, इसलिए वे जमीन के बहुत करीब फंसे रहते हैं। साथ ही, जब बारिश नहीं होती और हवा भी धीरे चलती है, तो यह फंसा हुआ प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता, जिससे स्थिति कई गुना खराब हो जाती है।
गुरुग्राम में 318,
गाजियाबाद में 393
ग्रेटर नोएडा में 356 एक्यूआई
फरीदाबाद 253 दर्ज
इन इलाकों में सबसे अधिक रहा प्रदूषण
जहांगीरपुरी-459
नेहरू नगर-439
आनंद विहार-455
मुंडका-422
ओखला फेज 2-408
चांदनी चौक-422
पटपड़गंज-432
पंजाबी बाग-438
सिरीफोर्ट-431
आईटीओ-407
द्वारका सेक्टर 8-418