चीन और ताइवान के बीच सीमा पर तनाव और बढ़ गया है, जिसके चलते ताइवान जलडमरूमध्य एक बार फिर युद्ध जैसे हालात की आहट से गूंज उठा है। कारण है कि चीन ने लगातार दूसरे दिन यानी मंगलवार को भी ताइवान के चारों ओर बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास कर ताकत का प्रदर्शन किया। इस अभ्यास में चीन की वायुसेना, नौसेना और मिसाइल इकाइयों ने मिलकर लाइव-फायर ड्रिल (सीधे हथियारों से अभ्यास) की।
बीजिंग ने इस सैन्य अभ्यास को ताइवान की स्वतंत्रता की कोशिशों और विदेशी दखल के खिलाफ चेतावनी बता रहा है, जबकि ताइवान ने सेना को हाई अलर्ट पर रखकर चीन को क्षेत्रीय शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया है। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या यह ड्रैगन का सिर्फ अभ्यास है या किसी बड़े टकराव का संकेत?
ताइवान की हवाई यातायात पर बड़ा असर
चीन की तरफ से किए जा रहे इस शक्ति प्रदर्शन का असर ताइवान में चारो ओर देखने को मिल रहा है। खासकर हवाई यातायात पर। ताइवान की विमानन एजेंसी के अनुसार, इस सैन्य अभ्यास के कारण अब तक 1 लाख से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की उड़ानें रद्द या डायवर्ट हुईं हैं। करीब 850 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें प्रभावित हुईं और 80 से ज्यादा घरेलू उड़ानें रद्द कर दी गईं। इतना ही नहीं चीन ने ताइवान जलडमरूमध्य के आसपास सात अस्थायी ‘खतरनाक क्षेत्र’ घोषित किए, जहां रॉकेट अभ्यास किया गया है।
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‘जस्टिस मिशन 2025’ नाम का अभ्यास
बता दें कि इन दो दिनों के सैन्य अभ्यास को चीन ने ‘जस्टिस मिशन 2025’ नाम दिया है। यह अभ्यास ऐसे समय हुआ है जब अमेरिका ताइवान के साथ अब तक का सबसे बड़ा हथियार सौदा करने की तैयारी में है। दूसरी ओर जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने कहा कि अगर चीन ने ताइवान पर कार्रवाई की तो जापान की सेना भी दखल दे सकती है। ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों देशों के इन तैयारियों के चलते चीन काफी नाराज है।

सैन्य अभ्यास में चीन ने अबतक क्या-क्या किया?
वहीं बात अगर अब चीन के सैन्य अभ्यास की करें तो चीन की सेना ने बताया कि अबतक अभ्यास में लड़ाकू विमान, बमवर्षक, ड्रोन, युद्धपोत, विध्वंसक जहाज, फ्रिगेट, लंबी दूरी की मिसाइलें और रॉकेट का इस्तेमाल किया गया। वहीं इस अभ्यास के मकसद की बात करें तो इसे समुद्र और हवा में संयुक्त युद्ध तैयारी, ताइवान के प्रमुख बंदरगाहों की नाकाबंदी और चारों दिशाओं से दबाव बनाकर डर पैदा करना माना जा रहा है। दूसरी ओर विशेषज्ञों का तो ये भी मानना है कि यह पहली बार है जब चीन ने खुलकर कहा कि उसका लक्ष्य द्वीप श्रृंखला के बाहर तक हर तरह से डर पैदा करना है।
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ताइवान की प्रतिक्रिया भी जानिए
वहीं दूसरी ओर ताइवन ने चीन के इस सैन्य अभ्यास को देखते हुए सेना को हाई अलर्ट पर रखकर चीन को क्षेत्रीय शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि चीन के 89 विमान और ड्रोन ताइवान के आसपास देखे गए। इनमें से 67 विमान ताइवान के निगरानी क्षेत्र में घुसे और 14 चीनी युद्धपोत और कई कोस्ट गार्ड जहाज भी मौजूद थे। ताइवान ने इसे न सिर्फ अपने लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए खतरा बताया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया
हालांकि मामले में अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। चीन के सैन्य अभ्यास पर उन्होंने कहा कि उन्हें अभ्यास की पहले से जानकारी नहीं थी। लेकिन वे चिंतित नहीं हैं क्योंकि चीन पिछले 20 साल से वहां अभ्यास करता रहा है। ट्रंप ने कहा कि उनके और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के रिश्ते अच्छे हैं। आगे उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उन्हें नहीं लगता कि चीन ताइवान पर हमला करेगा
चीन और ताइवान का विवाद पुराना, समझिए
गौरतलब है कि चीन-ताइवान विवाद की जड़ें साल 1949 के चीनी गृहयुद्ध से जुड़ी हैं। इसी युद्ध में कम्युनिस्ट पार्टी की जीत के बाद बीजिंग में उसकी सत्ता स्थापित हो गई, जबकि हारने वाली नेशनलिस्ट पार्टी के नेता और समर्थक ताइवान चले गए। तभी से ताइवान का अपना अलग प्रशासन, सेना और लोकतांत्रिक सरकार रही है। हालांकि, चीन ने कभी ताइवान को स्वतंत्र देश के रूप में स्वीकार नहीं किया और आज भी उसे अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है। यही मतभेद दशकों से दोनों के बीच तनाव का मुख्य कारण बना हुआ है।
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