Aaj Ka Shabd Samiran Mahadevi Verma Poetry Unka Pyar – Amar Ujala Kavya – आज का शब्द:समीरण और महादेवी वर्मा की कविता


‘हिंदी हैं हम’ शब्द शृंखला में आज का शब्द है- समीरण, जिसका अर्थ है- समीर (हवा)। प्रस्तुत है महादेवी वर्मा की कविता- महादेवी वर्मा की कविता- उनका प्यार 

समीरण के पंखों में गूँथ


लुटा डाला सौरभ का भार,


दया ढुलका मानस मकरन्द


मधुर अपनी स्मृति का उपहार;

अचानक हो क्यों छिन्न मलीन


लिया फूलों का जीवन छीन!

दैव सा निष्ठुर, दुख सा मूक


स्वप्न सा, छाया सा अनजान,


वेदना सा, तम सा गम्भीर


कहाँ से आया वह आह्वान?

हमारी हँसती चाह समेट


ले गया कौन तुम्हें किस देश!

छोड़ कर जो वीणा के तार


शून्य में लय हो जाता राग,


विश्व छा लेती छोटी आह


प्राण का बन्दीखाना त्याग;

नहीं जिसका सीमा में अन्त


मिली है क्या वह साध अनन्त?

ज्योति बुझ गई रह गया दीप


गई झंकार गया वह गान,


विरह है या अखण्ड संयोग


शाप है या यह है वरदान?

पूछता आकर हाहाकार


कहाँ हो? जीवन के उस पार?

मधुर जीवन सा मुग्ध बसंत


विधुर बनकर क्यों आती याद?


’सुधा’ वसुधा में लाया एक


प्राण में लाती एक विषाद;

बुझाकर छोटा दीपालोक


हुई क्या हो असीम में लोप?

हुई सोने की प्रतिमा क्षार


साधनायें बैठी हैं मौन,


हमारा मानसकुञ्ज उजाड़


दे गया नीरव रोदन कौन?

नहीं क्या अब होगा स्वीकार


पिघलती आँखों का उपहार?

बिखरते स्वप्नों की तस्वीर


अधूरा प्राणों का सन्देश,


हृदय की लेकर प्यासी साध


बसाया है अब कौन विदेश?

रो रहा है चरणों के पास


चाह जिनकी थी उनका प्यार।




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