बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में एक हफ्ते के भीतर दूसरे वरिष्ठ अधिकारी के इस्तीफे से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बांग्लादेश में मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार को उस समय झटका लगा, जब स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े विशेष सलाहकार सैयदुर रहमान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है, जब सरकार कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक फैसलों को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही है।
मंगलवार रात कैबिनेट डिवीजन की ओर से जारी गजट अधिसूचना में बताया गया कि राष्ट्रपति ने सैयदुर रहमान का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है। हालांकि, उनके इस्तीफे के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं की गई है। वहीं, रहमान का कहना है कि उन्होंने एक महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था और मंगलवार को उसे औपचारिक मंजूरी मिली। उनका यह भी कहना है कि उसी दिन उनका सरकारी कार्यकाल समाप्त हो गया था।
कौन हैं सैयदुर रहमान
सैयदुर रहमान बांग्लादेश के एक वरिष्ठ चिकित्सक और प्रशासक रहे हैं। वे इससे पहले बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति रह चुके हैं। नवंबर में उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए मुख्य सलाहकार का विशेष सहायक नियुक्त किया गया था और उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था। उनके अचानक इस्तीफे ने सरकार की स्थिरता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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एक हफ्ते में दूसरा बड़ा इस्तीफा
सैयदुर रहमान का इस्तीफा ऐसे समय आया है, जब इससे पहले 24 दिसंबर को गृह मंत्रालय से जुड़े विशेष सहायक खुदा बख्श चौधरी ने भी पद छोड़ दिया था। इस तरह एक हफ्ते के भीतर अंतरिम सरकार के दो अहम चेहरे बाहर हो चुके हैं, जिससे प्रशासनिक अस्थिरता की चर्चा तेज हो गई है।
कानून-व्यवस्था पर बढ़ता दबाव
खुदा बख्श चौधरी का इस्तीफा सरकार की कानून-व्यवस्था को लेकर हो रही आलोचनाओं के बीच हुआ था। छात्र कार्यकर्ता शरीफ उस्मान बिन हादी की हत्या और मयमनसिंह में कथित ईशनिंदा के आरोप में हिंदू युवक दीपु चंद्र दास की भीड़ द्वारा हत्या के मामलों ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया था। इन घटनाओं के बाद अंतरिम सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे।
यूनुस सरकार के लिए चुनौती
लगातार हो रहे इस्तीफे यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार के लिए बड़ी चुनौती माने जा रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि प्रशासनिक फैसलों और कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर सरकार दबाव में है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि सरकार इन इस्तीफों के बाद हालात को कैसे संभालती है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अंतरिम सरकार को पारदर्शिता और सख्त प्रशासनिक कदमों के जरिए भरोसा बहाल करना होगा। वरना इस्तीफों की यह श्रृंखला सरकार की विश्वसनीयता को और कमजोर कर सकती है।
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