Bihar Election Congress General Secretary Avinash Pande Exclusive Interview Rahul Gandhi Tejashwi – Amar Ujala Hindi News Live


बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, राजद, वीआईपी और लेफ्ट पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। महागठबंधन में टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच काफी खींचतान देखने को मिली। आपसी खींचतान को देखते हुए कांग्रेस ने अनुभवी नेता अविनाश पांडे को बिहार भेजा, जिसके बाद महागठबंधन में चीजें सामान्य होती नजर आईं। इन्हीं सब मुद्दों पर अमर उजाला ने कांग्रेस नेता अविनाश पांडे से खास बातचीत की और उनसे सीटों के बंटवारे, राहुल गांधी के हालिया बयानों पर राय जानी। यह पूरा इंटरव्यू आप विस्तार से वीडियो में देख सकते हैं। यहां प्रस्तुत हैं अविनाश पांडे से बातचीत के प्रमुख अंश…

 

सवाल- बिहार में राहुल गांधी एसआईआर को लेकर यात्रा कर रहे थे और ‘वोट चोर गद्दी छोड़ो’ का जब उन्होंने नारा दिया, तो सड़कों पर भीड़ दिखाई पड़ी। फिर बीच में एकदम से एक बड़ा अंतराल देखने को मिला। इसके बाद टिकटों के वितरण में कई समस्याएं देखने को मिली। क्या इससे कांग्रेस और महागठबंधन की संभावनाओं को आघात पहुंचा है? 

अविनाश पांडे:  ‘वोट चोर गद्दी छोड़ो’ का नारा न ही सिर्फ बिहार में लेकिन पूरे देश के अंदर में बच्चे-बच्चे की जुबान पर आज भी वो नारा चल रहा है। जिस प्रकार से लोकतंत्र को और इस देश के संविधान को मिटाने का एक षड्यंत्र वर्तमान राजनीतिक के चलते हुआ, सिर्फ सत्ता को हथियाने के लिएजिस प्रकार से चुनाव आयोग को अपना एक अग्रिम संगठन के रूप में दुरुपयोग किया जा रहा है, इसका पूरा देश निंदा कर रहा है। जो लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं, जो इस देश के संविधान पर विश्वास रखते हैं, जो इस देश के हर एक व्यक्ति का अधिकार और अपनी सरकार चुनने का जो अधिकार उन्हें इस संविधान ने दिया है, उसका सम्मान करते हैं, वह इस पतन को देखकर पूरी तरह निराश हैं। 

अविनाश पांडे: बीच में गैप क्यों पड़ा? आप जानते हैं, एक प्रक्रिया होती है। उस प्रक्रिया के चलते और जब आप कहीं पर गठबंधन में होते हैं तो स्वाभाविक रूप से सर्वसम्मति की बहुत आवश्यकता होती है। मुझे विश्वास है कि बिहार में गठबंधन ने एक बेहतर संभावनाओं के साथ बेहतर उम्मीदवारों का चयन किया है। हो सकता है कि कुछ लोगों की अपेक्षा अनुसार भले ही यह सही न हो, कुछ अनियमितता नजर आती हो, लेकिन कुल मिलाकर अगर देखेंगे तो गठबंधन में कुछ चीजों पर एक प्रकार से समझौता करना होता है, लेकिन हम बहुत अच्छी स्थिति में चुनाव लड़ रहे हैं। राहुल गांधी के प्रचार दौरे शुरू हैं।  कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी बिहार में तीन तारीख को आ रहे हैं।  प्रियंका गांधी के भी दौरे आज से शुरू हो गए हैं। कुल मिलाकर अगर देखें तो गठबंधन का एक मोरल जो मैं कहूंगा, एक काफी हाई है। काफी उम्मीदों के साथ हम यह चुनाव लड़ रहे हैं।

सवाल- राहुल गांधी ने बिहार में रैली के दौरान पीएम मोदी को लेकर कहा था कि अगर नाचने के लिए कहोगे तो वो नाचने लगेगा। कांग्रेस की पूरी संस्कृति बहुत सभ्यतापूर्ण आचरण की रही है। लेकिन अभी ऐसा लगता है कि राहुल गांधी शायद क्षेत्रीय दलों या जो मौजूदा परिस्थिति है, उसमें वो उससे संचालित होने लग गए हैं?

अविनाश पांडे: मैं थोड़ा सा इसमें मैं सुधार करना चाहूंगा और मैं आपको कहना चाहूंगा कि राहुल गांधी जी ने जिस परिपेक्ष इस चीज का जिक्र किया कि लोगों की धार्मिक जन भावनाओं को जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी और विशेष रूप से माननीय मोदी जी ने समय-समय पर लोगों को भावनाओं के आधार पर उनका शोषण किया है वो निंदनीय है। माननीय प्रधानमंत्री एक राष्ट्रीय पार्टी का नेतृत्व करते हैं। लेकिन अगर आपने राजनीतिक भाषणों में कभी मुजरा शब्द सुना है? देश का प्रधानमंत्री बोलता है…..कभी आपने इस प्रकार की जिस प्रकार के अपशब्द जो मुझे बोलने में भी शर्म आती है। आदरणीय सोनिया जी को लेकर, आदरणीय प्रियंका जी को लेकर, माननीय राहुल गांधी जी को लेकर जिस प्रकार का वक्तव्य ना ही सिर्फ प्रधानमंत्री लेकिन बहुत जिम्मेदार शीर्ष नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी का समय-समय पर इस चीज का दोहराते हुए उल्लेख करता है। राहुल जी ने यहां के महापर्व के से संबंधित लोगों की जन भावनाओं का सम्मान करते हुए एक जो दिखावा और उसका राजनीतीकरण करने का जो एक प्रयत्न माननीय मोदी जी ने किया था। उसका जिक्र किया था। हम सिर्फ चुनाव जीतना हम यह इस देश के लिए या बिहार के लिए पर्याप्त नहीं है। हम यहां की भावना, यहां की संवेदना, यहां के लोगों के दर्द, यहां के लोगों के दुख और बिहार की जो राष्ट्रीय स्तर पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो पहचान है उसे धूमिल करने का प्रयत्न जो किया जाता है। बार-बार और बार-बार वादा करने के बाद भी आज प्रदेश के 3 करोड़ 28 लाख से भी ज्यादा यहां के युवा, यहां के बिहारी, हमारे यहां के सम्मानीय नागरिक पलायन करके दूसरे राज्यों में और देश के अन्य राज्यों में नौकरी और अपना पेट बांधने के लिए घूम रहे  हैं। क्या यह शर्म की बात नहीं? 

लोग जब आ रहे हैं तो माननीय प्रधानमंत्री जी घोषणा करते हैं कि हमने 12,000 विशेष रेलगाड़ियों की व्यवस्था बिहार के लिए और छठ पर्व के लिए किया हुआ है। कितना बड़ा झूठ है। देश में रेलगाड़ियों की संख्या ही 13,826 हैं और उसमें से अगर 12,000 गाड़ियां आपने बिहार के लिए सिर्फ लगा दी तो कहां है वो रेलगाड़ियां? शर्म आती है जब हम पेपरों में तस्वीरों में आपके ही माध्यम से जब देखते हैं कि एक गाड़ी के अंदर और पांच पर स्तर पर छत से लेकर लोग नीचे बैठे हुए हैं। शौचालय में बैठकर लोग खाना खा रहे हैं। वहीं पर सो रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चे बिलख रहे हैं। भूख से तड़प रहे हैं।  

सवाल- पिछली बार 70 में 32 सीटें ऐसी थीं जो महागठबंधन में आपके सहयोगी हैं, कांग्रेस या राजद में कोई नहीं जीत पाया था। इस बार उन सीटों में फिर 29 कांग्रेस को थमा दी गईं। लोग ये कह रहे हैं कि कहने को तो 61 दे दी गईं, लेकिन 29 पहले माइनस कर दी गईं। तो कांग्रेस ने त्याग किया या कांग्रेस ने राजद के दबाव में समर्पण कर दिया?  

अविनाश पांडे:  त्याग और समर्पण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। त्याग किया जाता है जब कुछ चीजों को बेहतर चीजों को पाने के लिए अगर कुछ चीजें बेहतर हैं, आवश्यक हैं, तो समर्पण के रूप में ही वो आती हैं। तो दोनों का मतलब एक ही है। आप समझ गए हैं मैं जो कह रहा हूं। लेकिन एक राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते। मैंने वही कहना चाहूंगा कि 2020 और 2025 के राजनीतिक समीकरण में भी बहुत फर्क है। जिन 32 सीटों का आप जिक्र कर रहे हैं, मैं पूर्ण रूप से सहमत हूं क्योंकि उस समय मैंने बहुत गहन परीक्षण किया था, क्योंकि उस समय मैं उस प्रक्रिया में थोड़ा शामिल था। दुर्भाग्यवश आज भी वैसी परिस्थिति है, लेकिन अब हालात बहुत बदल गए हैं।  जिस प्रकार से देश के और बिहार प्रदेश की राजनीति का पतन हुआ है उस पतन के चलते हुए लोगों में एक नया नई सोच एक नई राजनीतिक करवट लेने जा रहा है और उसके चलते हुए आपको निश्चित रूप से परिवर्तन दिखेगा विजय के रूप में बेहतर प्रदर्शन के रूप में क्योंकि राजनीति आज खत्म नहीं होनी है। कांग्रेस में राहुल गांधी जी ने हमेशा दूर की सोच रखी हुई है। सत्ता और अह उसके प्रलोभन में हम् ना आते हुए जो आज सबसे बड़ा लक्ष्य है कि जिस प्रकार से लोगों को बहकाने का लोगों को बरगलाने का जुमले के माध्यम से झूठे वादों के माध्यम से और सही मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए जिस प्रकार का एक प्रयत्न इस देश के प्रधानमंत्री, इस देश के गृह मंत्री, इस देश के मुख्यमंत्री कर रहे हैं, आज लोग सच्चाई जानने लगे हैं। झूठ का अनंतकाल नहीं होता, सच ही एक चीज है जो अनंतकाल चलती है और झूठ का पर्दाफाश होगा और बिहार के अंदर में आपको एक परिवर्तन निश्चित रूप से मुझे दिख रहा है।

 

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सवाल- राहुल गांधी की यात्रा के बाद एक मोमेंटम दिखाई पड़ रहा था एसआईआर को लेकर कम से कम कार्यकर्ता सड़कों पर दिखाई पड़ रहे थे, लेकिन फिर तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए देरी से घोषित करना, 70 से 61 आ जाना उस पर भी 11 जगह नौ जगह फ्रेंडली फाइट होना। क्या लगता नहीं कि कांग्रेस जो मोमेंटम बनाती दिखाई पड़ रही थी जो लीड ले सकती थी उसको कहीं न कहीं धक्का पहुंचा है?

अविनाश पांडे:  मैं बहुत स्पष्ट रूप से कहूंगा कि जब कभी भी भारतीय जनता पार्टी या जदयू आज स्पष्ट रूप से आप देखेंगे कि बहुत एक कमजोर आधार पर ये चुनाव लड़ रही है। भले ही वो सरकार में है लेकिन लोगों की विश्वसनीयता वो खो चुके हैं।  इसके चलते हुए राहुल गांधी जी की जो मतदान अधिकार यात्रा जो यहां थी उसने पूरे प्रदेश के अंदर में एक परसेप्शन तैयार किया जिससे न ही सिर्फ बिहार में लेकिन देश के हर राज्य में इससे एक सुसहट पैदा हुई और लोगों में एक जागृति आई। सदाकत आश्रम यह हमारे लिए मंदिर है और सदाकत आश्रम मुझे लगता है कि यहां पर पिछले दिनों में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के आधार पर पूरे देश के चुनिंदा सभी वरिष्ठ नेताग यहां पर एकत्र हुए थे और मंथन चुनाव का मंथन पूरे देश की राजनीति का मंथन यहां पर घंटों हुआ तो स्वाभाविक है कि उसका महत्व हम सब लोगों के लिए सर्वोच्च है।  कुछ लोगों का ध्यान बंटाने के लिए इस प्रकार की गतिविधियां समय-समय पर करते रहे हैं। अब वोट चोर गद्दी छोड़ के सामने जब उनको नहीं दिखा तो एक कमजोर नारा लगाकर वो उसको धूमिल और उसे डायवर्ट करना चाहते हैं। उसे जनता को भटकाना चाहते हैं। कभी भी टिकट वितरण में आप 100% लोगों को संतुष्ट संतुष्ट नहीं कर सकते। तो कुछ मैं नहीं मैं मैं इस चीज का दावा तो नहीं करूंगा बिकॉज़ उस प्रक्रिया में मैं नहीं था कि सभी चीजें उत्कृष्ट और उत्तम और सबसे ज्यादा मेरिट पर दी गई हैं। इसको मैं मान्य करता हूं।

सवाल- टिकटों में कई विसंगतियां हुई हैं… फ्रेंडली फाइट उसका एक बड़ा उदाहरण है। चुनाव खत्म होने के बाद जिन्होंने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। क्या उन पर कांग्रेस आलाकमान कार्रवाई करने का सामर्थ्य रखता है?

अविनाश पांडे: मैं पहले आपको बता दूं कि यह पूरी चुनाव की प्रक्रिया जो होती है कोई एक व्यक्ति विशेष के बेस पर नहीं होती है। कांग्रेस में एक प्रक्रिया है। उस प्रक्रिया के चलते हुए काफी निर्णय लिए जाते हैं। कहीं विसंगतियां हो सकती हैं। कृष्णा जी पार्टी के अंदर में हमारे युवा और छात्र संगठन को संभालते हुए आज मुझे समझता लगता है कि छह से आठ वर्षों में उन्होंने संगठन का एक अनुभव लिया है। समर्पित हैं। हर व्यक्ति का काम करने का एक नजरिया एक अप्रोच होता है। हो सकता है कि उनसे कुछ कमियां रह गई हो। मैं निश्चित रूप से उस चीज को मान्य करता हूं। लेकिन जिस नियति से जिस समर्पण के साथ में वो कार्य कर रहे हैं वो प्रशंसनीय है। उनके साथ में एक टीम काम कर रही है। बात रही कि कुछ विसंगतियां हुई है। कुछ कमियां नजर आई हैं। कार्यकर्ताओं के अपेक्षानुसार शायद नामों की घोषणा नहीं हुई हो। निश्चित रूप से आलाकमान ने उस पर पहनी नजर रखी हुई है और इस चीज से आप निश्चिंत रहें कि अगर कोई इस प्रक्रिया के चलते हुए दोषी या उसमें जिम्मेदार पाया जाता है तो माननीय मल्लिकार्जुन खरगे जी कांग्रेस अध्यक्ष आदरणीय राहुल जी इस बारे में निष्पक्ष रूप से जो कार्यवाही होगी वह आने वाले समय में आपको दिखेगी। 

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