प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नीति आयोग में देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। आगामी केंद्रीय बजट 2026-27 से पहले आयोजित इस विचार-विमर्श का मुख्य उद्देश्य भारत की दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए एक ठोस रणनीति तैयार करना रहा। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने साफ किया कि 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अब विभिन्न क्षेत्रों में ‘मिशन मोड’ में सुधार जरूरी है।
नीति आयोग में आयोजित इस बैठक का मुख्य विषय ‘आत्मनिर्भरता और संरचनात्मक परिवर्तन: विकसित भारत के लिए एजेंडा’ था। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने इस पर जोर दिया कि विकसित भारत का संकल्प अब केवल सरकारी नीति तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह 140 करोड़ भारतीयों की एक ‘जन-आकांक्षा’ बन चुका है। उन्होंने कहा, “देश की नीति-निर्धारण और बजट प्रक्रिया को हमेशा 2047 के विजन से जुड़ा रहना चाहिए। हमें विश्व स्तरीय क्षमताएं विकसित करने और वैश्विक बाजारों के साथ गहरे एकीकरण की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने होंगे।”
बजट पूर्व बैठक में 2025 में हुए आर्थिक सुधारों के असर पर की गई चर्चा
बैठक में उपस्थित विशेषज्ञों ने वर्ष 2025 के दौरान हुए विभिन्न नीतिगत बदलावों और उनके सकारात्मक प्रभावों पर चर्चा की। गौरतलब है कि साल 2025 में जीएसटी (GST) स्लैब में बदलाव, आयकर अधिनियम 2025 का लागू होना और बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई जैसे बड़े सुधार देखे गए हैं।
प्रधानमंत्री ने भारत को वैश्विक कार्यबल और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। अर्थशास्त्रियों ने विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मकता सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक सुझाव दिए। घरेलू बचत बढ़ाने और बुनियादी ढांचे में निवेश के माध्यम से आर्थिक ढांचे को मजबूत करने पर विमर्श हुआ।
बैठक के दौरान वित्त मंत्री भी रहीं मौजूद
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की उपस्थिति में हुई इस बैठक को 1 फरवरी, 2026 को पेश होने वाले बजट की दिशा तय करने वाला माना जा रहा है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी और सीईओ बीवीआर ब्रमण्यम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस मंथन में हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने विशेषज्ञों से अपील की है कि भारत न केवल अपनी आंतरिक चुनौतियों का सामना करे, बल्कि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में एक नेतृत्वकारी भूमिका निभा सके। ‘विकसित भारत’ के रोडमैप के तहत, सरकार का ध्यान अब जटिल अनुपालनों को कम करने और व्यापार सुगमता अगले स्तर पर ले जाने पर केंद्रित है। भारत अपने लोगों के नवाचार के जोश के बल पर वैश्विक ध्यान का केंद्र बनकर उभरा है और आज दुनिया भारत को आशा और विश्वास की नजरों से देख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में यह बात कही।
लिंक्डइन पर पोस्ट किए गए एक लेख में प्रधानमंत्री ने 2025 को भारत की सुधार यात्रा का एक ऐतिहासिक वर्ष बताया। पिछले 11 वर्षों में हुई प्रगति पर निर्णायक रूप से आधारित है। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत में हुए अगली पीढ़ी के सुधारों की सराहना करती है। इन कदमों का मकसद देश की विकास क्षमता को बढ़ाना है।
उन्होंने कहा, “मैं कई लोगों से कहता रहा हूं कि भारत सुधार के दौर में है। इस सुधार का प्राथमिक इंजन भारत की जनसंख्या, हमारी युवा पीढ़ी और हमारे लोगों का अदम्य साहस है।” उन्होंने आगे कहा, “2025 को भारत के लिए एक ऐसे वर्ष के रूप में याद किया जाएगा जब उसने पिछले 11 वर्षों में हासिल की गई उपलब्धियों के आधार पर निरंतर राष्ट्रीय मिशन के रूप में सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया। हमने संस्थानों का आधुनिकीकरण किया, शासन को सरल बनाया और दीर्घकालिक, समावेशी विकास की नींव को मजबूत किया।”