Cop30:कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज में बोला भारत- जलवायु वित्त देने की जिम्मेदारी नहीं निभा रहे विकसित देश – Failure Of Developed Countries On Climate Finance Makes Ndcs Unachievable: India At Cop30


भारत ने शनिवार को आरोप लगाया कि विकसित देश जलवायु वित्त देने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा नहीं कर रहे हैं और अगर वित्तीय सहायता तय, पारदर्शी और भरोसेमंद नहीं होगी तो विकासशील देश अपने जलवायु लक्ष्य पूरे नहीं कर पाएंगे। ब्राजील के बेलेम में कॉप-30 के तीसरे उच्च-स्तरीय मंत्रिस्तरीय संवाद में भारत ने ‘समान विचारधारा वाले विकासशील देशों’ (एलएमडीसी) की ओर से कहा कि जलवायु वित्त विकासशील देशों के लिए जलवायु कार्रवाई का सबसे बड़ा साधन है।

वार्ताकार सुमन चंद्रा ने कहा कि विकसित देशों की वित्तीय मदद के बिना विकासशील देश उतना उत्सर्जन कम नहीं कर सकते और न ही जलवायु बदलाव के अनुसार खुद को ढाल सकते, जितना उनके लिए राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (एनडीसी) में तय किया गया है।

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एनडीसी पेरिस समझौते के तहत बनाए गए राष्ट्रीय जलवायु प्लान है, जिनमें तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए उत्सर्जन कम करने और जलवायु बदलाव से निपटने के लक्ष्य तय किए गए हैं। देशों को 2031–2035 की अवधि के लिए अपने तीसरे चरण की योजना इस साल जमा करनी हैं। भारत ने अभी अपने अपडेटेड एनडीसी नहीं सौंपे हैं।

भारत ने कहा कि पेरिस समझौते ने विकसित देशों को कानूनी रूप से बाध्य किया है कि वे विकासशील देशों को जलवायु वित्त उपलब्ध कराएं। चंद्रा ने कहा कि अनुच्छेद 9.1 के तहत वित्त देना विकसित देशों की कानूनी जिम्मेदारी है, कोई स्वैच्छिक योगदान नहीं। अनुच्छेद 9.3 भी उन्हें वित्त जुटाने में नेतृत्व करने का निर्देश देता है।

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भारत ने कहा कि विकसित देशों ने न तो ये कानूनी जिम्मेदारियां निभाई हैं और न ही अपनी वित्तीय जानकारी में पारदर्शिता रखी है। भारत ने भारत ने कॉप29 (बाकू) में बनाए गए नए वैश्विक वित्त लक्ष्य (एनसीक्यूजी) की भी आलोचना की और कहा कि यह एक ‘अधूरा और कमजोर’ निर्णय है, जिसमें विकसित देशों से ठोस वादा नहीं लिया गया। इससे विकासशील देशों के लिए अपने एनडीसी पूरे करना लगभग असंभव हो जाएगा।

भारत ने कहा कि एनसीक्यूजी में अनुच्छेद 9.3 का जिक्र तो है, लेकिन अनुच्छेद 9.1 की कानूनी जिम्मेदारी को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है। इस वर्ष होने वाली बातचीत में विकासशील देश मांग कर रहे हैं कि अनुच्छेद 9.1 को औपचारिक एजेंडा में शामिल किया जाए। 



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