भारत और आसियान देशों ने रविवार को कहा कि टिकाऊ पर्यटन का मकसद सिर्फ पर्यावरण की रक्षा नहीं, बल्कि स्थानीय समुदायों की आर्थिक नींव को मजबूत करना भी है। ‘आसियान-भारत संयुक्त नेताओं का बयान’ जारी किया गया है। भारत और आसियान का यह साझा कदम न केवल पर्यटन के क्षेत्र में नई दिशा देगा, बल्कि आर्थिक स्थिरता और सामाजिक समानता को भी मजबूती से आगे बढ़ाएगा।
स्थायी रोजगार और समान अवसर पर जोर
संयुक्त बयान में कहा गया कि आर्थिक स्थिरता टिकाऊ पर्यटन की बुनियाद है। इसमें चार प्रमुख बिंदु शामिल हैं-
- आर्थिक रूप से व्यवहारिक और टिकाऊ गतिविधियों को बढ़ावा देना।
- सभी हितधारकों को सामाजिक-आर्थिक लाभ समान रूप से उपलब्ध कराना।
- स्थायी रोजगार और आय के अवसर पैदा करना।
- आर्थिक लाभ का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना।
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स्थानीय समुदायों की भागीदारी आवश्यक
नेताओं ने यह भी कहा कि पर्यटन के विकास में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भूमिका जरूरी है। इसके लिए कौशल प्रशिक्षण, उद्यमिता को बढ़ावा देने और समुदाय-आधारित पर्यटन योजनाओं पर काम करने की बात कही गई। उद्देश्य यह है कि पर्यटन से होने वाली आय सीधे लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करे।
महिलाओं और युवाओं के लिए नए अवसर
बयान में महिलाओं और युवाओं को पर्यटन उद्योग में अधिक भागीदारी देने पर भी जोर दिया गया। इको-टूरिज्म को बढ़ावा देकर भीड़भाड़ और प्राकृतिक स्थलों के अत्यधिक उपयोग को रोकने की योजना है।
डिजिटल तकनीक से पर्यटन को नई दिशा
नेताओं ने यह भी कहा कि पर्यटन को डेटा आधारित और तकनीक समर्थ बनाना होगा। इसके लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने, पर्यटकों की आवाजाही का विश्लेषण करने और नई तकनीकों से अनुभव को बेहतर करने की आवश्यकता बताई गई।
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पीएम मोदी बोले- 21वीं सदी भारत-आसियान की है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा, ’21वीं सदी भारत और आसियान की है।’ उन्होंने आसियान को भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का मजबूत स्तंभ बताया और 2026 को भारत-आसियान समुद्री सहयोग वर्ष घोषित करने की घोषणा की। पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत और आसियान ग्लोबल साउथ के साथी यात्री हैं, जो स्थिरता, विकास और समृद्धि के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।’ उन्होंने मलयेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम को सफल आयोजन के लिए बधाई दी और ईस्ट तिमोर का आसियान के 11वें सदस्य के रूप में स्वागत किया।