Indian Families Face Anguish As Bodies Of Four Citizens Stranded Abroad Over Passport Rules – Amar Ujala Hindi News Live


विदेशों में चार भारतीयों के शव अपने वतन नहीं आ पा रहा है, क्योंकि एयरलाइंस बिना मूल पासपोर्ट शव लाने से इनकार कर रही हैं। जबकि भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों ने इनके रिपैट्रिएशन (वतन वापसी) की औपचारिक मंजूरी दे दी है। इन मामलों को ‘टीम एड’ नामक एक गैर-सरकारी संगठन ने उजागर किया है, जो विदेशों में भारतीयों की मौत के बाद शवों को भारत वापस लाने में मदद करता है। संगठन ने इसे एक मानवीय संकट बताते हुए सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है।

अब बात अगर विदेश में फंसे भारतीयों की शवों की पहचान की करें तो इनकी पहचान अभि सलारिया, जिन्होंने आत्महत्या की, प्रदीप कुमार, जिन्हें गोली मारी गई। सचिन कुमार, जिनकी मौत ब्रेन स्ट्रोक से हुई और हरदीप सिंह के रूप में हुआ है। दूसरी ओर एक और मामला प्रवीण यादव का है, जिनकी अस्थियां भी अब तक भारत नहीं भेजी जा सकी हैं।

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एयरलाइंस का तर्क और परिवारों की परेशानी

संगठन के अनुसार, भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों ने सभी मामलों में नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) जारी किए हैं, फिर भी एयरलाइंस इमीग्रेशन विभाग से जुर्माने के डर से शवों को ले जाने से इनकार कर रही हैं। टीम एड के प्रमुख सलाहकार और जयपुर फुट यूएसए के चेयरमैन प्रेम भंडारी ने कहा कि कई बार पासपोर्ट खो जाता है, खराब हो जाता है या अधिकारियों के पास रहता है।

उन्होंने कहा कि ऐसे में परिवार के पास मूल पासपोर्ट देना संभव नहीं होता। सरकार को ऐसे मामलों में भारतीय दूतावास का एनओसी ही मान्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह मानवीय मामला है और इसमें संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई होनी चाहिए।

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भारत सरकार से अपील

वहीं मामले में टीम एड ने 15 जुलाई को इस मुद्दे पर गृह सचिव को पत्र लिखा था और कई बार अनुस्मारक (रिमाइंडर) भेजे हैं। संगठन के अध्यक्ष मोहन नन्नापनैनी ने कहा कि जब मृत व्यक्ति का पासपोर्ट उपलब्ध नहीं होता, तब शव को भारत लाना बेहद मुश्किल हो जाता है।

उन्होंने कहा कि  हमने विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय दोनों से तत्काल समाधान की मांग की है। इसके साथ ही सलारिया के परिवार रा प्रतिनिधित्व कर रहे कर्नल संतोक सिंह ने सरकार से अपील की है कि पासपोर्ट के बिना भी शव को भारत लाने की अनुमति दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है मामला

इसके साथ ही प्रेम भंडारी ने बताया कि कई प्रवासी भारतीय संगठनों ने उन्हें भारत के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने की सलाह दी है, यह कहते हुए कि संविधान का अनुच्छेद 21 मृत व्यक्ति की गरिमा और अधिकारों की रक्षा भी करता है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि यह मुद्दा अदालत तक पहुंचे बिना ही सुलझ जाएगा भंडारी ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में यह मामला संवेदनशीलता के साथ हल किया जाएगा। भंडारी ने यह भी बताया कि अगर जरूरत पड़ी, तो वे गृह मंत्री या प्रधानमंत्री से सीधे अपील करेंगे ताकि इमीग्रेशन विभाग को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं कि भारतीय मिशनों द्वारा दिए गए एनओसी के आधार पर ही शवों को भारत लाया जा सके।



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