जेमिमा रॉड्रिग्स ने खुलासा किया कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में अपनी नाबाद 127 रनों की मैच जिताऊ पारी से पहले उन्होंने मानसिक संघर्ष का एक कठिन दौर झेला था। उन्होंने बताया कि उस समय वह भारी चिंता से गुजर रही थीं, जिससे वह खुद को सुन्न महसूस करती थीं और कई बार रो पड़ती थीं।
मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेमिमा भावुक हो गईं और कहा कि वह अपनी यह कहानी इसलिए साझा कर रही हैं ताकि उन लोगों की मदद कर सकें जो इसी तरह के मानसिक संघर्षों से जूझ रहे हैं। जेमिमा की कहानी सिर्फ रन और रिकॉर्ड्स की नहीं है…यह हिम्मत, भावनाओं और इंसानियत की कहानी है। उनका संदेश साफ है ‘मदद मांगना ठीक है और मुश्किल वक्त सिर्फ यह साबित करने आता है कि आप कितने मजबूत हैं।’ उनके बयान की ये 10 बातें किसी के लिए भी प्रेरणा हैं…

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जेमिमा रॉड्रिग्ज
– फोटो : PTI
1. जेमिमा के आंसुओं में छिपी जीत की कहानी
जेमिमा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में नाबाद 127 रनों की पारी खेलकर भारत को फाइनल में पहुंचाया, लेकिन मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके आंसू यह बता रहे थे कि इस जीत के पीछे कितनी मानसिक जंग छिपी थी। उन्होंने खुद खुलकर कहा, ‘इस टूर्नामेंट की शुरुआत में मैं बहुत कमजोर महसूस कर रही थी। अगर कोई मुझे देख रहा है और जो इसी दौर से गुजर रहा है, तो उसे पता चले कि मदद मांगना ठीक है।’

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जेमिमा रॉड्रिग्ज
– फोटो : PTI
2. चिंता और डर से भरे दिन
जेमिमा ने बताया कि टूर्नामेंट की शुरुआत उनके लिए आसान नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत ज्यादा उत्कंठा से जूझ रही थी। कई बार मैच से पहले अपनी मां को कॉल करती और सिर्फ रोती रहती थी।’ जेमिमा ने बताया कि सब कुछ सुन्न लग रहा था, जैसे शरीर चल रहा हो, लेकिन मन कहीं खो गया हो। उन्होंने कहा, ‘ऐसी स्थिति में आपको पता नहीं होता कि आप क्या कर रहे हैं और खुद में ही रहने की कोशिश करते हैं।’

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जेमिमा का परिवार
– फोटो : Twitter
3. परिवार बना सबसे बड़ा सहारा
उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता हमेशा उनके साथ खड़े रहे। जेमिमा ने कहा, ‘मेरे मम्मी-पापा ने मुझे संभाला। हर बार कहा- बेटा, तू खुद पर भरोसा रख। यह दौर भी बीत जाएगा।’ यही भरोसा उन्हें बार-बार मैदान में लौटने की हिम्मत देता रहा। उन्होंने कहा, ‘मेरे परिवार ने बहुत कुछ सहा, लेकिन हमेशा मेरे साथ खड़े रहे और मुझ पर विश्वास किया जब मैं खुद पर विश्वास नहीं कर पा रही थी।’

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मंधाना और जेमिमा
– फोटो : BCCI Women Screen Grab
4. साथी खिलाड़ियों की भावनात्मक मदद
जेमिमा ने बताया कि टीम की साथी खिलाड़ी अरुंधति रेड्डी, स्मृति मंधाना, और राधा यादव ने इस मुश्किल दौर में उन्हें अकेला नहीं छोड़ा। उन्होंने बताया, ‘अरुंधति के सामने मैं हर दिन रोती थी। मजाक में कहा करती थी- तुम मेरे सामने मत आओ, मैं फिर से रो पड़ूंगी, लेकिन उसने मुझे हर दिन संभाला।’ स्मृति मंधाना का नाम लेते हुए उन्होंने कहा, ‘वो मेरे नेट सेशन में बस खड़ी रहती थी, कुछ बोलती नहीं थी। बस उसका होना मेरे लिए बहुत मायने रखता था।’ जेमिमा ने कहा, ‘राधा हमेशा मेरे साथ रहीं और मेरा ख्याल रखा। मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मेरे पास ऐसे दोस्त हैं जिन्हें मैं परिवार कह सकती हूं और मुझे अकेले इस मुश्किल दौर से नहीं गुजरना पड़ा। और मदद मांगना भी ठीक है।’