26/11 आतंकी हमलों नायक और एनआईए के प्रमुख रहे आईपीएस अधिकारी सदानंद वसंत दाते को महाराष्ट्र का नया पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया गया है। राज्य सरकार ने बुधवार को उनके नाम पर मुहर लगाई।
1990 बैच के आईपीएस अधिकारी सदानंद दाते (59 वर्ष) मौजूदा डीजीपी रश्मि शुक्ला की जगह लेंगे, जो 3 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रही हैं। दाते को महाराष्ट्र पुलिस बल का प्रमुख बनने के बाद दो वर्षों का कार्यकाल मिलेगा। नरम स्वभाव लेकिन सख्त प्रशासक माने जाने वाले सदानंद दाते हाल ही में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से राज्य लौटे हैं। इससे पहले वह केंद्र में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रमुख के रूप में कार्यरत थे।
अजमल कसाब को पकड़ने में निभाई थी अहम भूमिका
महाराष्ट्र कैडर के 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी सदानंद वसंत दाते को 26/11 हमले के दौरान उनकी बहादुरी के लिए याद किया जाता है। आतंकी हमले के दौरान उनकी वीरता के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था। दाते ने अजमल कसाब और उसके लश्कर-ए-ताइबा के सहयोगी अबू इस्माइल से संघर्ष किया, उन्हें चोटें आईं और जब तक वह बेहोश नहीं हो गए, तब तक उन्होंने उन्हें रोके रखा। उनकी सूझबूझ के कारण ही कसाब जिंदा पकड़ा गया। उस समय वे मध्य क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त थे।
26 नवंबर, 2008 की उस भयावह रात को मध्य क्षेत्र के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस आयुक्त दाते को एक फोन आया कि छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) के पास आतंकी अंधाधुंध गोलीबारी कर रहे हैं। कुछ समय पहले ही 10 आतंकी एक नाव के जरिये मुंबई में घुस आए थे और शहर में फैल गए थे। इस हमले में मुंबई पुलिस के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे और अशोक कामटे सहित 18 बहादुर बलिदान हुए।
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हमले के दौरान हुए थे घायल
आतंकियों के फेंके गए ग्रेनेड के हमले में दाते गंभीर रूप से घायल हुए थे। आज भी उनके शरीर में ग्रेनेड के धातु के टुकड़े फंसे हुए हैं, जिसमें एक उनकी आंख के पास भी है और वह इन स्थायी निशानों को चोटों के रूप में नहीं, बल्कि युद्ध क्षेत्र से लाए गए पदक के रूप में देखते हैं।
आतंकियों ने कामा अस्पताल की छत पर कब्जा कर लिया था
जब तक दाते और उनकी टीम सीएसटी पहुंची, तब तक दोनों आतंकी कसाब और इस्माइल वहां से चले गए थे और पास के कामा अस्पताल की छत पर कब्जा कर लिया था। टीम ने उनका वहां तक पीछा किया। उन्हें पता था कि दो लोग वहां हैं, लेकिन उन्हें आतंकियों के पास मौजूद हथियारों और गोला-बारूद के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। बहरहाल, दाते के नेतृत्व वाली टीम ने दोनों से मुकाबला करने का फैसला किया। टीम की त्वरित प्रतिक्रिया और निर्णायक कार्रवाइयों ने अस्पताल में मरीजों, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बुरी तरह घायल होने के बावजूद उन्होंने अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को उनके स्थान के बारे में सूचित करने के अलावा दोनों आतंकियों पर गोलीबारी जारी रखी।