महाराष्ट्र के नागपुर में किसानों के ऋणमाफी की मांग को लेकर जारी आंदोलन ने बुधवार को नया मोड़ ले लिया। प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री बच्छू कडू के नेतृत्व में चल रहे इस प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र के मंत्री पंकज भोयर और आशीष जायसवाल वार्ता के लिए धरना स्थल पहुंचे। वहीं, नागपुर हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि किसान प्रदर्शनकारी शाम छह बजे तक धरना स्थल खाली करें।
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ के न्यायमूर्ति रजनीश व्यास ने स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया। अदालत ने कहा कि प्रदर्शन की अनुमति केवल 24 घंटे के लिए दी गई थी, इसलिए निर्धारित समय से अधिक प्रदर्शन जारी नहीं रह सकता। किसान पिछले दो दिनों से ऋणमाफी और फसल बोनस की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। अदालत के आदेश के बावजूद प्रदर्शन स्थल पर बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे।
ट्रेनें रोकने की धमकी
पूर्व मंत्री और विधायक बच्चू ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गईं, तो दोपहर 12 बजे के बाद ट्रेनें रोक दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि हमारे किसान कर्ज में डूबे हैं। अगर राज्य सरकार के पास पैसा नहीं है, तो केंद्र को मदद करनी चाहिए।” मंगलवार को वे हजारों किसानों के साथ नागपुर पहुंचे थे और नागपुर-हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) को अवरुद्ध किया था। बुधवार को भी आंदोलन जारी रहा और रेलवे ट्रैक पर बैठकर किसानों ने अपना विरोध दर्ज कराया।
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किसानों की शिकायतें और सरकार पर आरोप
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार ने बार-बार आश्वासन देने के बावजूद सूखा प्रभावित इलाकों के किसानों को राहत नहीं दी। बच्छू कडू ने कहा कि राज्य में न तो भावांतर योजना लागू है और न ही किसी फसल को उचित मूल्य मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सोयाबीन के लिए 6000 रुपये और हर फसल पर 20 प्रतिशत बोनस देने की मांग की गई थी, लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया। मुख्यमंत्री के पास किसानों से मिलने तक का समय नहीं है।
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फडणवीस सरकार का राहत पैकेज
राज्य में हाल के महीनों में आई भारी बारिश और बाढ़ से 68 लाख हेक्टेयर से अधिक फसलों को नुकसान हुआ है, खासकर मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्रों में। इस बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस महीने की शुरुआत में बारिश से प्रभावित किसानों के लिए 31,628 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी। इसके तहत किसानों को 10,000 रुपये की नकद सहायता दी जाएगी और यह राहत 36 में से 29 जिलों को कवर करेगी। हालांकि, किसान संगठनों का कहना है कि यह पैकेज अपर्याप्त है और ऋणमाफी के बिना किसानों की समस्याएं हल नहीं होंगी।