मुंबई के पवई इलाके में आरए स्टूडियो के अंदर 17 बच्चों और समेत 19 लोगों को बंधक बनाने वाले रोहित आर्या ने पुलिस को वहां पहुंचने से रोकने के लिए स्टूडियो को जैसे एक किले में बदल दिया था। पुलिस ने बताया कि उसने दरवाजों और खिड़कियों पर मोशन डिटेक्शन सेंसर लगाए थे और सीसीटीवी कैमरों की दिशा बदल दी थी, ताकि वह पुलिस को उसकी हरकतों का पता न लग सके।
वेब सीरीज के ऑडिशन देने आए थे बच्चे
पुलिस अधिकारी के अनुसार, रोहित आर्या गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे स्टूडियो पहुंचा। एक घंटे बाद उसने 10 से 12 साल की उम्र के बच्चों को बंधक बना लिया, जो वहां एक वेब सीरीज के ऑडिशन देने आए थे। उसने अंदर से हॉल को बंद कर लिया।
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पुलिस को कैसे मिली बंधक बनाने की सूचना?
जानकारी के मुताबिक, कुछ बच्चों ने खिड़की के शीशों से बाहर झांककर मदद के संकेत दिए और आवाजें लगाईं। राहगीरों ने यह देखा और पुलिस को खबर दी। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बातचीत शुरू की। करीब दो घंटे तक बातचीत चलती रही, लेकिन रोहित आर्या झुका नहीं। इसके बाद फायर ब्रिगेड की मदद से बाथरूम की खिड़की तोड़ी गई। इसी रास्ते से तीन पुलिसकर्मी अंदर दाखिल हुए।
मुंबई पुलिस से मुठभेड़ और बचाव अभियान
जैसे ही पुलिसकर्मी अंदर पहुंचे, रोहित आर्या ने उन पर एयरगन तान दी और गोली चलाने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में एक इंस्पेक्टर ने आत्मरक्षा में गोली चलाई, जो आरोपी के सीने में लगी। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसने दम तोड़ दिया। वहीं मुंबई पुलिस ने स्टूडियो से एयरगन, पेट्रोल, ज्वलनशील रबर सॉल्यूशन और लाइटर घटना स्थल से बरामद किए हैं। जांच से पता चला है कि रोहित आर्या ने किसी बड़ी साजिश की योजना बनाई थी।
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कानूनी कार्रवाई और क्राइम ब्रांच की जांच
घटना के बाद पवई पुलिस थाने में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत हत्या के प्रयास, अपहरण, और आग से संबंधित लापरवाही जैसे कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। अब क्राइम ब्रांच इस पूरे मामले की जांच कर रही है। बरामद वस्तुओं को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। पुलिस का कहना है कि बच्चों को सुरक्षित बाहर निकालना ही सबसे बड़ी प्राथमिकता थी- और यह अभियान तीन घंटे की भारी मशक्कत के बाद सफल रहा।