Nationwide Sir Set To Begin Next Week, Know Which States Likely In First Phase? Updates – Amar Ujala Hindi News Live


देशभर में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान अगले हफ्ते से शुरू होने जा रहा है। चुनाव आयोग (ईसी) अगले हफ्ते के मध्य तक इसके पहले चरण की आधिकारिक घोषणा कर सकता है। इस अभियान के तहत मतदाता सूची से मृत, स्थानांतरित या दोहराए गए नामों को हटाने और नई प्रविष्टियां जोड़ने का काम होगा।

पहले चरण में 10 से 15 राज्य होंगे शामिल?

सूत्रों के मुताबिक, पहले चरण में 10 से 15 राज्यों में यह प्रक्रिया शुरू होगी। इनमें वे राज्य शामिल होंगे जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जैसे असम, तमिलनाडु, पुद्दुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल। हालांकि, जिन राज्यों में इस समय स्थानीय निकाय चुनाव चल रहे हैं या होने वाले हैं, वहां फिलहाल यह प्रक्रिया नहीं होगी, क्योंकि स्थानीय स्तर का प्रशासन चुनावी कामकाज में व्यस्त रहेगा।

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बिहार एसआईआर का बना नजीर

बिहार में हाल ही में यह विशेष पुनरीक्षण पूरा हुआ है। वहां अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की गई, जिसमें लगभग 7.42 करोड़ नाम दर्ज हैं। इस दौरान करीब 50 लाख नाम हटाए गए- जिनमें मृत मतदाता, घर बदलने वाले लोग या दोहराए गए नाम शामिल थे। 

राज्यों में पुरानी सूची बनेगी आधार

हर राज्य में पिछली बार हुए एसआईआर को कटऑफ वर्ष माना जाएगा। जैसे बिहार में 2003 की सूची को आधार बनाया गया था, वैसे ही अन्य राज्यों में भी पिछली एसआईआर सूची को मानक के रूप में अपनाया जाएगा। ज्यादातर राज्यों में पिछला एसआईआर 2002 से 2004 के बीच हुआ था। अब वर्तमान मतदाताओं की तुलना उसी समय की सूची से की जाएगी ताकि यह पता चल सके कि कौन से नाम हटाने या सत्यापित करने की जरूरत है।

SIR का उद्देश्य- अवैध मतदाताओं की पहचान

चुनाव आयोग और कुछ राजनीतिक दलों के अनुसार, इस विशेष पुनरीक्षण का मुख्य उद्देश्य ‘विदेशी अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से हटाना’ है। खासतौर पर बांग्लादेश और म्यांमार से आए लोगों की जांच की जाएगी। हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे संप्रदायिक और भेदभावपूर्ण बताते हुए चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया गरीब, विस्थापित और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।

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चुनाव आयोग की तैयारियां

चुनाव आयोग अब तक दो बार राज्य चुनाव अधिकारियों के साथ बैठक कर चुका है। कई राज्यों ने अपनी पुरानी मतदाता सूचियां वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी हैं ताकि लोग उन्हें देखकर अपनी प्रविष्टियां जांच सकें। दिल्ली में भी 2008 की सूची वेबसाइट पर डाली गई है, जबकि उत्तराखंड ने 2006 की सूची जारी की है। इस राष्ट्रीय अभियान से चुनाव आयोग को उम्मीद है कि देशभर में मतदाता सूची अधिक शुद्ध और पारदर्शी बन सकेगी।



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