Pakistan Defence Minister Asif Reportedly Warned Failure Reach Agreement With Afghanistan Could Lead Open War – Amar Ujala Hindi News Live


तुर्किये के इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति वार्ता जारी है। इस बीच पाकिस्तान ने धमकी दी कि अगर दोनों देशों के बीच कोई समझौता नहीं हुआ तो ‘खुला युद्ध’ हो सकता है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा, देखिए, अफगानिस्तान से शांति चाहते हैं। लेकिन अगर समझौता नहीं हुआ, तो इसका मतलब खुला युद्ध होगा। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने आसिफ के बयान के हवाले से यह जानकारी दी। 

 

खूनी झड़प में कई लोगों की मौत

ख्वाजा आसिफ का यह बयान उस समय आया, जब अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच आज इस्तांबुल में दूसरे दौर की वार्ता हुई। पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, इन वार्ताओं का मकसद सुरक्षा चिंताओं को दूर करना और साझा सीमा पर स्थायी संघर्ष विराम स्थापित करना है। हाल ही में दोनों देशों के बीच दो हफ्तों तक चली झड़पों में कई लोगों की मौत हुई, जिनमें आम नागरिक भी शामिल थे।

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कहां से शुरू हुआ ताजा संघर्ष?

यह संघर्ष तब शुरू हुआ, जब  तालिबान सरकार ने काबुल में हुए धमाकों का आरोप पाकिस्तान पर लगाया। इसके बाद सीमा पर जवाबी हमले हुए। दोनों देशों ने पहले 48 घंटे के संघर्ष विराम पर सहमति जताई थी, लेकिन वह कुछ ही समय में टूट गया। इसके बाद कतर और तुर्किये की मध्यस्थता में रविवार को दूसरा संघर्ष विराम किया गया, जो फिलहाल कायम है।

तुर्किये पहुंचे दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल

शनिवार की इस्तांबुल वार्ता में दोनों देशों के प्रतिनिधि दोहा वार्ता के दौरान तय किए गए तंत्र पर चर्चा कर रहे हैं। हालांकि, बैठक का सटीक समय और स्थान सार्वजनिक नहीं किया गया है। अफगानिस्तान का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को तुर्किये पहुंचा, जिसकी अगुवाई उप गृह मंत्री हाजी नजीब कर रहे हैं। वहीं, पाकिस्तान की ओर से सुरक्षा अधिकारियों का दो सदस्यीय दल वार्ता में शामिल है।

अफगान तालिबान प्रवक्ता ने क्या कहा?

अफगान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने एक्स पर कहा, उप गृह मंत्री हाजी नजीब की अगुवाई में इस्लामी अमीरात का प्रतिनिधिमंडल कुछ दिन पहले हुई दोहा बैठक के बाद तुर्किये पहुंच गया है। बाकी बचे मुद्दों पर चर्चा इस बैठक में होगी। तालिबान शासन का कहना है कि वह अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करना चाहता है, जबकि पाकिस्तान का कहना है कि वार्ता में अफगान जमीन से पाकिस्तान की ओर फैल रहे आतंकवाद के खतरे पर भी बात होनी चाहिए।

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काबुल में हुए शुरुआती धमाके के समय तालिबान के विदेश मंत्री ने भारत यात्रा पर थे। इसी दौरान दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। इससे पहले पाकिस्तान तालिबान का एक बड़ा समर्थक माना जाता था और अफगानिस्तान में भारत के प्रभाव को संतुलित करने के लिए रणनीतिक सहयोग देता रहा है।

 



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