प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जॉर्डन दौरे के आखिरी दिन अम्मान में आयोजित इंडिया-जॉर्डन बिजनेस फोरम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने भारत और जॉर्डन के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ाने पर चर्चा की। साथ ही प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के व्यवसायिक नेताओं से बातचीत की और आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के नए अवसर तलाशने पर जोर दिया और दोनों देशों के बीच व्यापार और सहयोग को लेकर अहम बातें भी कहीं।
फोरम में उपस्थित नेताओं को संबोधित करते हए पीएम मोदी ने कहा कि भारत, जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों देशों के रिश्ते सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इन्हें लंबे समय के मजबूत साझे में बदला जाना चाहिए।
हमारा लक्ष्य भरोसे की साझेदारी पर आधारित- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि व्यापार की दुनिया में आंकड़ों की अपनी अहमियत होती है, लेकिन भारत और जॉर्डन का लक्ष्य केवल व्यापार बढ़ाना नहीं, बल्कि भरोसे और साझेदारी पर आधारित भविष्य बनाना है। उन्होंने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि एक समय था जब गुजरात से यूरोप तक व्यापार पेट्रा के रास्ते होता था। अब समय आ गया है कि उन पुराने व्यापारिक रास्तों और रिश्तों को फिर से जीवित किया जाए, ताकि आने वाले समय में दोनों देशों को समृद्धि मिल सके।
भौगोलिक स्थिति को अवसर में बदलने पर चर्चा- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे बताया कि जॉर्डन के राजा से हुई अपनी मुलाकात में उन्होंने इस बात पर विस्तार से चर्चा की कि कैसे भौगोलिक स्थिति को अवसर में बदला जाए और उन अवसरों से आर्थिक विकास किया जाए। उन्होंने जॉर्डन के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि जॉर्डन आज एक ऐसा सेतु (ब्रिज) बनकर उभरा है, जो अलग-अलग क्षेत्रों के बीच सहयोग बढ़ाने में मदद कर रहा है।
भारत की आर्थिक स्थिति पर भी बोले पीएम
जॉर्डन बिजनेस फोरम में पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत की आर्थिक स्थिति पर भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक विकास दर आठ प्रतिशत से ज्यादा है, जो बेहतर उत्पादकता, मजबूत शासन व्यवस्था और नवाचार पर आधारित नीतियों का नतीजा है। इसके कारण भारत में निवेश और व्यापार के लिए नए अवसर खुल रहे हैं, जिसका फायदा जॉर्डन के निवेशक और कारोबारी भी उठा सकते हैं।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनिया को एक नए ग्रोथ इंजन और भरोसेमंद सप्लाई चेन की जरूरत है। ऐसे समय में भारत और जॉर्डन मिलकर इस वैश्विक जरूरत को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने भरोसा जताया कि भारत–जॉर्डन की साझेदारी आने वाले वर्षों में और मजबूत होगी और इससे दोनों देशों के लोगों को आर्थिक लाभ मिलेगा।