बिहार में सियासी पारा हर दिन चढ़ता ही जा रहा है और इस बीच अमर उजाला का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ पटना की धरती पर पहुंच चुका है। आज 18 अक्तूबर की शाम को राजनेताओं से जनता के मुद्दे पर सवाल पूछे गए। इसके साथ ही उनके दावों-वादों को तोला गया कि किसके पक्ष में सियासी हवा बह रही है। जनता की उम्मीदें और सवाल क्या हैं? पहले जानते हैं चाय पर चर्चा और युवाओं से चर्चा के दौरान क्या बातें हुईं।
चाय पर चर्चा
अमर उजाला की टीम से बात करते हुए स्थानीय निवासी एसएन प्रसाद ने कहा कि इस बार महागठबंधन की सरकार बनने वाली है। लालू यादव ने बहुत काम किए हैं और उनका नाम पूरी दुनिया में है। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ने ‘जंगलराज’ कहकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की। श्याम कुमार सहनी ने कहा कि पटना में इस बार महागठबंधन जीत रहा है। मुकेश सहनी उपमुख्यमंत्री बनेंगे और तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री। ‘जंगलराज’ की बातें सिर्फ अफवाह हैं।
वहीं, सुबोध कुमार गुप्ता ने कहा कि इस बार NDA की सरकार बनने जा रही है। राज्य में सुशासन है और हमें जंगलराज नहीं चाहिए। 20 साल पहले लोग घर से बाहर निकलते समय भी सुरक्षित लौटने की गारंटी नहीं थी, सबको डर रहता था। लेकिन नीतीश सरकार में सभी को सुरक्षा दी गई है।
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युवाओं से बात
पटना यूनिवर्सिटी के छात्र शिवम कहते हैं कि उन्होंने हाल ही में पीजी किया है। उनका मानना है कि बेरोजगारी आज का सबसे बड़ा मुद्दा है। वे कहते हैं कि छात्र पढ़ तो लेते हैं, लेकिन नौकरी पाना बहुत मुश्किल है। कॉलेज में पढ़ाई ठीक होती है, लेकिन छात्र बहुत कम ही रोज कॉलेज आते हैं। मेरे साथ पढ़ने वाले किसी भी छात्र को अब तक नौकरी नहीं मिली। सब कुछ दिखावा है। तेजस्वी भी तीन करोड़ नौकरी नहीं दे पाएंगे, क्योंकि इतनी नौकरियां कहां से लाएंगे। ये सब झूठा वादा है।
वहीं, लॉ की तैयारी कर रहे युवा छात्र अरुण कुमार कहते हैं कि उन्हें कोर्ट में काम करना है। कोर्ट में बहुत से केस लटके रहते हैं, जिससे गरीबों को न्याय नहीं मिल पाता। मैं चाहता हूं कि उनके लिए काम करूं ताकि उन्हें न्याय मिल सके।
‘तेजस्वी यादव आएंगे तो नौकरी जरूर देंगे’
नौकरी के मुद्दे पर अरुण का कहना है कि अगर मेहनत करेंगे तो नौकरी जरूर मिलेगी, लेकिन बिहार का ट्रेंड थोड़ा अलग है। यहां पेपर लीक हो जाते हैं और पैसे देकर पेपर खरीदने वाले पास हो जाते हैं, जबकि मेहनती छात्र सरकारी नौकरी से वंचित रह जाते हैं। रोजगार के लिए फिर पलायन करना पड़ता है। उन्हें उम्मीद है कि तेजस्वी यादव आएंगे तो नौकरी देंगे। वे मेहनत कर रहे हैं और अगर सत्ता में आए तो रोजगार के अवसर जरूर बढ़ाएंगे। वहीं, नीतीश कुमार नौकरी देने की बात करते हैं, तो जब वे भाजपा के साथ थे, तब लोगों को नौकरी क्यों नहीं दी? नीतीश जी ने बिहार में कितनी फैक्टरियां खुलवाई हैं? आज भी लोग रोजगार के लिए बाहर पलायन कर रहे हैं।
‘जंगलराज से काफी सुधार हुआ है अब’
वहीं, कविता कहती हैं कि बिहार में नौकरी की बहुत कमी है। स्किल भी नहीं है। मेरी मांग है कि हर किसी के लिए रोटी और रोजगार होना चाहिए। मुझे किसी सरकार पर भरोसा नहीं होता। यदि आप विकास की बात करेंगे तो पहले से सुधार हुआ है। जंगलराज जो देखा है, उसे याद करके रूह कांप जाती है। लेकिन अभी और काम करने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि युवा नीतीश कुमार को मौका दे सकते हैं, क्योंकि विकास धीरे-धीरे हो रहा है।
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‘नीतीश जंगलराज के 20 वर्षों का कुआं भर रहे हैं’
प्रशांत कुमार कहते हैं कि बड़ा मुद्दा शिक्षा है। लालू राज में स्कूल नहीं थे। स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राएं सुरक्षित नहीं थे। सड़कें भी नहीं थीं। लेकिन आज छात्राओं के लिए साइकिल योजना आई है। छात्र-छात्राएं सुरक्षित तरीके से आ-जा रहे हैं। सुविधाएं बढ़ी हैं। नीतीश कुमार की बात करें तो वे नौकरी देते आए हैं। यदि युवा संकल्प लें तो जरूर नौकरी पा लेंगे। 20 साल तक लालू जी ने बिहार को कुएं में डाल दिया था। अब उस कुएं को भरने में थोड़ा समय लगेगा। नीतीश कुमार अभी वही कुआं भर रहे हैं। पहले पटना से दरभंगा जाने में रात हो जाती थी, अब दो घंटे में घर पहुंच जाते हैं।
‘दिव्यांगों के साथ हो रहा भेदभाव खत्म हो’
दिव्यांग विष्णुजीत कहते हैं कि मैंने पटना विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में पढ़ाई की है। मेरा सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि दिव्यांगों को काम मिले। योजनाओं का सही लाभ मिले। हमारे लिए नौकरी नहीं है। कंपनियां हमें कोई काम नहीं देना चाहतीं। समाज में समानता की बात कही जा रही है, लेकिन यह समाज आज भी दिव्यांगों को स्वीकार नहीं कर पाया है। मैं जोमैटो में काम करता हूं। अगर मुझे दस ऑर्डर मिलते हैं, तो उनमें से पांच निरस्त हो जाते हैं। तेजस्वी जब डिप्टी सीएम थे, तब उन्होंने हमें 2500 रुपये देने का वादा किया था, लेकिन वह पूरा नहीं हुआ, तो उन पर कैसे भरोसा करें? पटना गांधी मैदान में हमने इसके लिए लाठियां खाईं थीं। हम चाहते हैं कि समाज दिव्यांगों को स्वीकार करे। अभी सिर्फ कागजों में एक्ट और धाराएं बना दी गई हैं, नियम बना दिए गए हैं, लेकिन भेदभाव खत्म नहीं हुआ है।
‘अब बेटियां रात में भी घर आती-जाती हैं’
शिक्षिका नेहा कहती हैं कि जंगलराज के समय की तुलना में अब काफी सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी बेटियों और महिलाओं को वह मंच नहीं मिला है, जिसकी उन्हें जरूरत है। तेजस्वी की बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता कि उनकी सरकार में लड़कियां सुरक्षित रहेंगी। सुरक्षा के मामले में नीतीश कुमार पर भरोसा किया जा सकता है। पहले की सरकार में शाम छह बजे के बाद लड़कियां घर से बाहर नहीं निकलती थीं, लेकिन आज रात दस बजे भी लड़कियां निडर होकर बाहर आती-जाती हैं। शराबबंदी से भी काफी सुधार हुआ है।
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