Shefali Verma Cricket Career Story: Practiced With Torn Gloves Broken Bat Struggle World Cup Ind Vs Sa – Amar Ujala Hindi News Live



भारतीय महिला टीम की स्टार बल्लेबाज शेफाली वर्मा के लिए रोहतक से भारतीय टीम तक का सफर आसान नहीं था। कभी भारतीय महिला क्रिकेट की सबसे चमकदार स्टार कही जाने वाली शेफाली को एक वक्त ऐसा भी देखना पड़ा जब वे वनडे टीम से बाहर हो गईं। करीब एक साल से ज्यादा वक्त तक वे भारत की वनडे टीम का हिस्सा नहीं थीं, लेकिन प्रतिका रावल के चोटिल होने के बाद उन्हें टीम में शामिल किया गया और उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ महिला वनडे विश्व कप के फाइनल में चमक बिखेरी।




Shefali Verma Cricket Career Story: Practiced With Torn Gloves Broken Bat Struggle World Cup IND vs SA

शेफाली वर्मा
– फोटो : BCCI Women


फाइनल में जड़ा अर्धशतक

शेफाली ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फाइनल में अपने वनडे करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेली। शेफाली हालांकि शतक लगाने से चूक गईं, लेकिन उन्होंने टीम के लिए महत्वपूर्ण पारी खेली। शेफाली 28वें ओवर में 78 गेंद में 87 रन बनाकर आउट हुईं। उन्होंने अपनी पारी में सात चौके और दो छक्के लगाए। शेफाली का वनडे में यह सर्वोच्च स्कोर है।


Shefali Verma Cricket Career Story: Practiced With Torn Gloves Broken Bat Struggle World Cup IND vs SA

शेफाली वर्मा
– फोटो : PTI


कम उम्र में भारतीय टीम में बनाई थी जगह

महज 15 साल की उम्र में शेफाली ने भारतीय महिला टी20 क्रिकेट टीम में जगह बना ली थी। जून 2021 आते-आते वह महिला क्रिकेट के तीनों फार्मेट में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बन गई थीं। शेफाली ने भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने के लिए काफी संघर्ष किए और इसमें उनके पिता का योगदान सबसे अहम रहा। शुरुआत में जब अभ्यास के दौरान शेफाली का बल्ला खराब हुआ तो पिता संजीव वर्मा ने स्कूटर उठाया और बेटी के लिए बल्ले लेने रोहतक मेरठ निकल गए। शेफाली रोहतक के वैश्य शिक्षण संस्थान के मैदान में एक सुबह अभ्यास कर रही थीं। उनके पिता खुद मैदान पर खड़े होकर बारीकियां समझा रहे थे। अभ्यास खत्म हुआ तो बच्ची ने खराब हो गया बल्ला दिखाता हुए कहा कि पापा इस बल्ले से गेंद कैसे बाउंड्री के पार जाएगी। खुद क्रिकेटर रहे पापा ने बेटी के आंखों के सपने पढ़ लिए। रोहतक की दुकानों में ब्रांडेड और अच्छी क्वालिटी का बल्ला नहीं मिला तो उन्होंने स्कूटर का मुंह मेरठ की ओर मोड़ दिया। शाम को वह जब घर लौटे तो उनके हाथ में ब्रांडेड छह बल्ले थे। पापा से मिले उन बल्लों से शुरू हुई शेफाली की उड़ान आज भारतीय महिला क्रिकेट के आसमान पर कीर्तिमान बना रही हैं और ऐसा ही कुछ विश्व कप के फाइनल में भी देखने मिला। 

 


Shefali Verma Cricket Career Story: Practiced With Torn Gloves Broken Bat Struggle World Cup IND vs SA

शेफाली वर्मा
– फोटो : ANI


लड़कों के संग खेलती थीं शेफाली

2013 में सचिन तेंदुलकर लाहली में रणजी ट्राफी का खेलने आए तो भीड़ में मैच देखते हुए सचिन-सचिन की आवाजें सुनकर शेफाली का क्रिकेटर बनने का सपना और भी दृढ़ हो गया। दो ढाई साल तक उन्होंने बल्ले का अभ्यास लड़कों की गेंदबाजी पर ही किया है। अंडर-19, अंडर-23 व रणजी खिलाड़ियों की गेंदों पर उन्होंने खूब अभ्यास किया। शुरुआती कोचिंग के बाद शेफाली के पिता ने उन्हें अकादमी ट्रेनिंग के लिए भेजा, जहां उन्होंने लड़कों के साथ बल्ला पकड़ना सीखा और फिर उन्हीं पर कहर बनकर टूटीं। शेफाली को शुरुआत में लड़के के रूप में ट्रेनिंग लेनी पड़ी थी क्योंकि उनके शहर में लड़कियों के लिए क्रिकेट अकादमी ही नहीं थी। उन्होंने अपने क्रिकेट के लिए जुनूनी पिता संजीव वर्मा के निर्देश पर अपने बाल कटवा लिए थे क्योंकि हरियाणा के रोहतक जिला के सभी क्रिकेट अकादमी ने उन्हें दाखिला देने से मना कर दिया था। हालांकि, बाद में  शेफाली के स्कूल ने लड़कियों के लिए क्रिकेट टीम बनाने का फैसला किया।




Source link

Leave a Comment