तेलंगाना मानवाधिकार आयोग ने निजामाबाद एनकाउंटर में मारे गए आरोपी शेख रियाज की मौत पर राज्य के डीजीपी से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने यह रिपोर्ट 3 नवंबर तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। रियाज के परिजनों ने आयोग के समक्ष पेश होकर आरोप लगाया कि उनकी मौत फर्जी एनकाउंटर में हुई है और पुलिस ने उसे गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लेकर प्रताड़ित किया। उन्होंने आयोग से मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
रियाज से 3 लाख रुपये की मांगी थी
परिवार ने यह भी कहा कि उन्हें अपने घर में प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा और पुलिस द्वारा शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है। परिजनों ने सुरक्षा की मांग करते हुए दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की। शिकायत में कहा गया कि मृतक सिपाही प्रमोद ने रिश्वत रियाज से 3 लाख रुपये की मांगी थी, जिसमें से 30,000 रुपये पहले ही दिए जा चुके थे। दोनों के बीच कुछ धोखाधड़ी वाले वित्तीय लेनदेन भी हुए थे।
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3 नवंबर तक विस्तृत रिपोर्ट जमा करने का आदेश
आयोग ने इससे पहले मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले पर नोटिस जारी किया था। अब, ताजा शिकायत को ध्यान में रखते हुए आयोग ने सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाकर 27 अक्तूबर कर दी और डीजीपी को 3 नवंबर तक विस्तृत रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है। आयोग ने यह भी निर्देश दिया कि मृतक के परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ कोई जबरन या प्रताड़नापूर्ण कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस बीच, रियाज के परिवार के सदस्य तेलंगाना के डीजीपी बी. शिवाधर रेड्डी से भी मिले और फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की।
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परिजनों ने मुठभेड़ को बताया फर्जी एनकाउंटर
बता दें कि 17 अक्तूबर की रात, शे थाख रियाज को वाहन चोरी के मामले में पकड़ा गया। जब उसे पुलिस स्टेशन ले जाया जा रहा था, उसने कांस्टेबल प्रमोद (उम्र करीब 45 वर्ष) पर चाकू से हमला कर दिया था। प्रमोद की इलाज के दौरान मौत हो गई, जबकि रियाज भाग निकला। बाद में पुलिस ने उसे हिरासत में लिया और 20 अक्तूबर को हुई मुठभेड़ में गोली मार दी। अब परिवार इस मुठभेड़ को फर्जी एनकाउंटर बता रहा है, जबकि पुलिस का दावा है कि रियाज ने एक कॉन्स्टेबल की पिस्टल छीनने की कोशिश की थी, जिसके चलते जवाबी कार्रवाई में उसकी मौत हुई।